नई दिल्ली: इंडिया टीवी के लोकप्रिय शो 'आप की अदालत' में इस बार के मेहमान केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह थे। गिरिराज ने सवालों के खुलकर जवाब दिए। उन्होंने 'आप की अदालत' में कहा, 'मैं नहीं कहता कि सभी मुसलमान आतंकवादी हैं, लेकिन आतंकवाद में पकड़े जाने वाले 99 प्रतिशत मुसलमान ही क्यों हैं, यह भी तो प्रश्न उठता है।'
मजहब ही आजकल आड़े आ रहा: रजत शर्मा
'आप की अदालत' में इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने कहा कि आतंकवादियों का कोई मजहब या धर्म नहीं होता, तो गिरिराज सिंह ने जवाब दिया, 'यह कहने की बात है। मजहब ही आजकल आड़े आ रहा है। आतंकवाद करने के लिए और क्या कारण है देश में। अब तो नरेंद्र मोदी का राज है, जहां बम विस्फोट नहीं होता। लेकिन 10 साल पहले जितने बम विस्फोट होते थे, जितने मॉड्यूल पकड़े जाते थे, उनमें 99 प्रतिशत मुसलमान ही क्यों होते थे। यही प्रश्न उठता है।'
रजत शर्मा ने पूछा लेकिन आप थोड़ा और जोर से कहें कि सारे मुसलमान आतंकवादी नहीं है, कुछ लोग हैं उनमें...। इस पर गिरिराज सिंह ने कहा, 'मैं तो वही कह रहा हूं कि मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं, सारे के सारे। लेकिन जो पकड़े जाते हैं, 90 प्रतिशत वही हैं। तो इसको क्यों ना कहूं।'
रजत शर्मा ने कहा, 'जो अच्छा काम करे, उनकी भी थोड़ी तारीफ कर दीजिए'। इस पर गिरिराज सिंह ने कहा, 'उनकी तारीफ करता हूं। अच्छे आदमी हैं, उनको प्रणाम भी करता हूं।'
मदरसों और मस्जिदों का इस्तेमाल आतंकियों को बढ़ावा देने के लिए: गिरिराज सिंह
गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि मदरसों और मस्जिदों का इस्तेमाल आतंकवादियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा, '1947 में भारत में मुश्किल से दो-तीन हजार मस्जिदें थीं। आज तीन लाख से उपर हो गईं हैं। बांग्लादेश सीमा, नेपाल सीमा पर उनका अवैध कब्जा हो गया है। सीएम योगी ने मदरसों का अभी जायजा लिया उसमें 500 से अधिक अवैध निकले। मदरसे और मस्जिद आतंक का घर हैं। वहां इंसान बनाने की बजाय उन्हें गलत रास्ते पर ले जाने की शिक्षा देते हैं।'
रजत शर्मा ने सवाल पूछते हुए कहा कि आपने एक बार कहा था कि देवबंद (दारुल उल उलूम) आतंकवाद की गंगोत्री है? इस पर गिरिराज सिंह ने कहा, 'पाकिस्तान का मसूद अजहर कहां का प्रोडक्ट है? वह देवबंद का प्रोडक्ट है। आप बता दीजिए उसे आतंकवादी न कहूं तो क्या कहूं कि वो धर्मात्मा है? देवबंद से दर्जनों आतंकवादी निकले, कुछ उपर चले गए, कुछ जिंदा हैं।'