Aap ki Adalat: चुनाव रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के समन्वयक प्रशांत किशोर ने कहा कि अगले एक साल में 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की दिशा और उसकी स्थिरता तय करेंगे।
इंडिया टीवी पर आज रात प्रसारित 'आप की अदालत' शो में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, 'सरकार के चलने और न चलने के बारे में जो 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और असम, इन 9 राज्यों के चुनाव परिणाम तय करेंगे कि सरकार की स्थिरता कैसी रहेगी, सरकार की दिशा क्या होगी। अगर बीजेपी इन नौ राज्यों में से पांच या छह में हार जाती है, तो निश्चित रूप से स्थिरता का सवाल एक मुद्दा बन जाएगा।'
जनता ने संदेश दिया, थोड़ा संभलकर चलिए
2024 के लोकसभा नतीजों को अच्छा बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, 'ये सबसे अच्छा नतीजा है। जनता में संदेश गया है कि आप भगवान नहीं हैं लेकिन सरकार इत्मीनान से चलाओ। जनता ने राहुल गांधी को सरकार चलाने के लिए नहीं कहा, मोदी से कहा कि आप चलाएं... लेकिन तानाशाह की तरह न चलाएं, लोकतांत्रिक नेता के तौर पर चलाएं। यह संदेश जनता ने दिया है कि थोड़ा संभलकर चलिए।'
राहुल गांधी को अभी बहुत कुछ करना है
नरेंद्र मोदी के एक सशक्त विकल्प के तौर पर राहुल गांधी के उभरने की संभावनाओं पर प्रशांत किशोर ने कहा, 'राहुल गांधी के नेतृत्व में 99 सीट जीतना दिखाता है कि एक नेता के तौर पर राहुल गांधी को अभी बहुत कुछ करना है और वहां तक पहुंचना जहां हम कह सकें हां, वो वाकई एक जगह पहुंच गए हैं। लेकिन हां, एक पार्टी के तौर पर कांग्रेस ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है और इसका श्रेय राहुल गांधी को देना चाहिए। इस चुनाव में, राहुल ने खुद को कांग्रेस के नेता के रूप में स्थापित किया है, और अगले पांच से दस वर्षों तक पार्टी में कोई भी अन्य व्यक्ति उस कद का दावा नहीं कर सकता है। लेकिन देश के नेता के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए, उन्हें अभी लंबा सफर तय करना है। 99 सीट आना एक बात है और 250 से 260 सीट आना दूसरी बात है।'
प्रशांत किशोर ने 1977 का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लोकसभा चुनाव हार गई थीं और कांग्रेस ने 154 लोकसभा सीटें जीती थीं, जबकि इस बार राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का श्रेय राहुल गांधी को मिलना चाहिए।'
चुनावी रणनीतिकार ने कहा, 'विपक्ष अब एक इकाई के रूप में अधिक एकजुट दिखाई दे रहा है। यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है। कम से कम संसद में अच्छी बहस हो रही है... हमें इसकी सराहना करनी चाहिए कि वे समन्वित तरीके से अपने नैरेटिव सेट करने का प्रयास कर रहे हैं।'
देश में विपक्ष कभी कमजोर नहीं होगा
प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर को बिहार में अपनी जन सुराज पार्टी शुरू करने की योजना बना रहे हैं, उन्होंने कहा,'इस साल के लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा फायदा हम जैसी पार्टियों को होगा, जो मतदाताओं को विकल्प दे रही हैं। अगर बीजेपी लोकसभा चुनाव में 350 से 400 सीटें जीत जाती, तो फिर हमें बिहार में काम करने में मुश्किल होती...भारत जैसे देश में विपक्ष कभी कमजोर नहीं होगा, जहां 60 करोड़ से ज्यादा लोग हर दिन 100 रुपये से कम कमाते हैं। कोई भी विज्ञापन या फिर पीआर फेसबुक, यूट्यूब के माध्यम से उन्हें प्रभावित नहीं कर सकता। वे आपके बंधुआ मजदूर नहीं हैं।'
चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि बीजेपी अगले 25 से 30 सालों तक राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक धुरी बनी रहेगी, चाहे वह चुनाव जीते या हारे। उन्होंने कहा, '1950 से 1990 तक कांग्रेस राजनीतिक धुरी थी और अब यह राजनीतिक धुरी कांग्रेस से बीजेपी की ओर स्पष्ट रूप से स्थानांतरित हो गई है।'
राजनीतिक आकलन करने वाले भगवान नहीं
प्रशांत किशोर ने माना कि इस बार बीजेपी के 300 लोकसभा सीटें जीतने का उनका आकलन गलत साबित हुआ। उन्होंने कहा, 'राजनीतिक आकलन करने वाले भगवान नहीं होते।' प्रशांत किशोर ने इसका कारण बताते हुए कहा,' लोकसभा चुनाव को लेकर मेरे छह आकलनों में से एक गलत साबित हुआ। बीजेपी का वोट शेयर 36 प्रतिशत रहा, हालांकि इसमें 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई। मेरा आकलन था कि बीजेपी को 300 सीटें मिलनी चाहिए थीं, लेकिन केवल 240 सीटों पर जीत हासिल हुई। 2014 और 2019 में नरेंद्र मोदी को जो समर्थन मिला उसकी तुलना में इस बार समर्थन कम था। जमीनी स्तर पर, ग्रामीण संकट, किसानों की समस्या और बढ़ती असमानता एक कारण था। उत्तर प्रदेश की राजनीति भाजपा और आरएसएस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। मैं मानता हूं कि मैंने आकलन में गलती की। जब एक मजबूत सरकार होती है, तो एक डर पैदा होता है। एक गलत धारणा विकसित होती है।'
'अबकी बार, 400 पार' नारे को विपक्ष ने भुनाया
यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी ने 'अबकी बार, 400 पार' का नारा देकर गलती की है, प्रशांत किशोर ने जवाब दिया: 'नारा तो अच्छा था, लेकिन इसे बीजेपी ने नहीं, बल्कि विपक्ष ने पूरा किया। विपक्ष यह दिखाने में सफल रहा कि बीजेपी संविधान में संशोधन करने और जातिगत आरक्षण को समाप्त करने के लिए 400 सीटें चाहती है। इसका सारा श्रेय विपक्ष को जाता है। बीजेपी के कुछ बड़बोले नेताओं ने भी कहा कि पार्टी 400 सीटें जीतने के बाद संविधान बदल देगी।"
इस सवाल पर कि क्या चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी द्वारा मुजरा, मंगलसूत्र जैसे शब्दों का इस्तेमाल इस नतीजे का एक कारण हो सकता है, प्रशांत किशोर ने कहा: 'बीजेपी के कोर supporters को भी प्रधानमंत्री से ऐसे शब्दों की कभी उम्मीद नहीं की थी, क्योंकि पिछले 10 साल में नरेंद्र मोदी के बारे में जो छवि बनाई गई थी, उसे देखते हुए ऐसी उम्मीद नहीं थी। कार्यकर्ताओं में जोश भरने के बजाय इस तरह की बातों ने उन्हें निराश किया। कुछ जगहों पर इससे घबराहट भी पैदा हुई।'
योगी और मोदी
यह पूछे जाने पर कि क्या यूपी में चुनावी हार योगी आदित्यनाथ और अमित शाह के बीच कथित मतभेदों की वजह से हुई, प्रशांत किशोर ने कहा: 'मैं इसे व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता के रूप में नहीं देखता। लेकिन अगर आप व्यापक परिप्रेक्ष्य से देखें तो मैं 2009 के लोकसभा चुनावों का उदाहरण दे सकता हूं। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के राष्ट्रीय नेता थे। 2009 में गुजरात में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मोदी के समर्थकों ने आडवाणी के अभियान को नुकसान पहुंचाया। जो संदेश गया वह यह था कि अगर आडवाणी जीत गए, तो हमारे नेता मोदी को पीएम बनने में अधिक समय लगेगा। शायद इस बार उत्तर प्रदेश में यही हुआ हो।'
योगी के समर्थकों के बीच संदेश जरूर गया
प्रशांत किशोर ने कहा, 'कुछ लोगों को लगा कि अगर नरेंद्र मोदी और अमित शाह भारी बहुमत से जीत गए तो योगी की कुर्सी चली जाएगी। उस समय केजरीवाल ने योगी के बारे में जो कहा, वह सही साबित हुआ। बिहार में भी मेरी पदयात्रा के दौरान लोगों ने मुझसे पूछा कि अगर बीजेपी 400 सीटें जीत गई तो क्या योगी को हटा दिया जाएगा। ऐसा नहीं है कि योगी ने अपने समर्थकों से बीजेपी उम्मीदवारों को हराने के लिए कहा हो। यह मेरा विषय नहीं है और मैं आमतौर पर ऐसे मामलों पर नहीं बोलता। लेकिन योगी के समर्थकों के बीच संदेश जरूर गया।'
यह पूछे जाने पर कि क्या दो मुख्यमंत्रियों अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी से चुनावों पर कोई असर पड़ा, प्रशांत किशोर ने कहा, 'मुझे ऐसा नहीं लगता। अगर ऐसा होता तो झारखंड में बीजेपी का सफ़ाया हो जाता। इसके बजाय, राजस्थान और महाराष्ट्र में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। अगर हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी से भूचाल आ सकता था, तो बीजेपी को सबसे ज़्यादा नुकसान बिहार और झारखंड में होता।'
Lalu phenomenon सबसे बड़ा फैक्टर
लोकसभा चुनाव में बिहार के नतीजों पर प्रशांत किशोर ने कहा, 'पिछले 25-30 सालों से बिहार में Lalu phenomenon सबसे बड़ा फैक्टर है। बिहार में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग, जिसने आरजेडी के शासनकाल में 15 साल तक जंगल राज देखा है, वह कभी भी लालू को वोट नहीं देगा। नीतीश कुमार ने इस लालू फैक्टर की वजह से ही 12 लोकसभा सीटें जीतीं।'
पार्टी का जोर शिक्षा और विकास पर रहेगा
अगले महीने लॉन्च होने वाली अपनी जन सुराज पार्टी के बारे में प्रशांत किशोर ने कहा कि वे बिहार में करीब 2 करोड़ लोगों से 100-100 रुपए जमा करेंगे ताकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में वे अपनी पार्टी के खर्च को पूरा कर सकें। उन्होंने कहा, 'मेरी पार्टी का जोर शिक्षा और विकास पर रहेगा।'