Sunday, November 24, 2024
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जब साध्वी ऋतंभरा की मदद करने आए व्यक्ति पर ही उनकी साथी ने लगाया छेड़खानी का आरोप, आप की अदालत में सुनाया मजेदार किस्सा

नागपुर में एक कार्यक्रम के बाद पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती थी। इससे बचने एक लिए उन्होंने कपड़े बदलकर ट्रेन से यात्रा की लेकिन सफ़र उन्हें किसी ने पहचान लिया। इसके बाद क्या हुआ? आप की अदालत में साध्वी ने सुनाया पूरा किस्सा-

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: January 21, 2024 0:00 IST
Aap Ki Adalat- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV आप की अदालत में साध्वी ऋतंभरा

Aap Ki Adalat: भारत में राम मंदिर का आंदोलन पिछले कई वर्षों से चला आ रहा था। इस आंदोलन का परिणाम यह हुआ कि राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है और 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले मंदिर आंदोलन में प्रमुखता से भाग लेने वाली साध्वी ऋतंभरा इंडिया टीवी के शो 'आप की अदालत' में आईं। उन्होंने आंदोलन के दौरान के कई किस्से साझा किए।

पुलिस साध्वी को गिरफ्तार करना चाहती थी 

साध्वी ऋतंभरा ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि एकबार वह नागपुर में प्रवचन देने गई थीं। उस समय वह टायफाइड से पीड़ित थीं। उन्हें 104 डिग्री का बुखार था। इस कार्यक्रम में हजारों रामभक्त जुटे थे। प्रवचन सम्पन्न होने के बाद उन्हें किसी ने बताया कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने वाली है। इससे बचने के लिए वह भेष बदलकर नागपुर स्टेशन ना जाकर आगे के किसी छोटे स्टेशन पर चली गईं। यहां उन्होंने ट्रेन पकड़ी और महिला डिब्बे में बैठ गईं। 

यह यात्रा लगभग 12 घंटे की थी। इस दौरान वह शौचालय का उपयोग करने गईं। वह शौचालय के पास पहुंची ही थीं कि उन्हें पीछे से किसी ने आवाज दी। आवाज सुनकर लगा कि उन्हें पहचान लिया गया है और अब वह गिरफ्तार होने वाली हैं। उनसे बचने के लिए वह वापस उसी डिब्बे में चली गईं। अब आवाज देने वाला व्यक्ति डिब्बे के पास पहुंच गया और दरवाजे को खटखटाने लगा।

मदद करने आए व्यक्ति को बता दिया शराबी 

उन्होंने बताया कि उस समय मेरे साथ मेरी एक गुरु बहन भी थीं। जब वह व्यक्ति लगातार दरवाजा खटखटाए जा रहा था तब उन्हें एक युक्ति सूझी। वह दरवाजे पर गईं और उनसे बोलने लगीं कि वह एक शराबी हैं और महिलाओं को छेड़ रहे हैं। मामला और बिगड़ता, उससे पहले वह व्यक्ति वहां से चला गया। 

6 दिसंबर 1992 को पता चली सच्चाई 

इसके बाद जब 6 दिसंबर को सभी रामभक्त अयोध्या में जुटे तो वह व्यक्ति मंच पर मौजूद था। मैंने उन्हें पहचान लिया अब मुझे शर्म महसूस हो रही थी। उस दिन ट्रेन में आवाज देने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी का सहयोगी था। उन्होंने मुझे बताया कि उस दिन मुझे असमान्य कपड़ों में देखकर चौंक गए थे और उनकी मदद करना चाहते थे।

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