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'नफरती भाषण' को लेकर 76 वकीलों ने CJI को लिखा पत्र, संज्ञान लेने का किया आग्रह

पत्र में कहा गया है कि सम्मेलनों की आड़ में देश की धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश की जा रही है। सम्मेलनों के जरिए किए जा रहे घर वापसी और नहसंहार के आह्वान से देश के अल्पसंख्यकों के मन में खतरा पैदा हो रहा है। अधिवक्ताओं ने चीफ जस्टिस से मामले का संज्ञान लेने का आग्रह किया है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 27, 2021 9:08 IST
नफरती भाषण को लेकर 76...- India TV Hindi
Image Source : PTI नफरती भाषण को लेकर 76 वकीलों ने CJI को लिखा पत्र

Highlights

  • मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन वी रमना को एक पत्र लिखा पत्र
  • पत्र में कहा गया है कि सम्मेलनों की आड़ में देश की धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश की जा रही है
  • नहसंहार के आह्वान से देश के अल्पसंख्यकों के मन में खतरा पैदा हो रहा है

नई दिल्ली: हरिद्वार धर्म संसद में नफरती भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन वी रमना को एक पत्र लिखा है। सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने सीजेआई से नफरती भाषणों पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। पत्र में कहा गया है कि सम्मेलनों की आड़ में देश की धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश की जा रही है। सम्मेलनों के जरिए किए जा रहे 'घर वापसी' और नहसंहार के आह्वान से देश के अल्पसंख्यकों के मन में खतरा पैदा हो रहा है। अधिवक्ताओं ने चीफ जस्टिस से मामले का संज्ञान लेने का आग्रह किया है। 

पत्र में वकीलों ने कहा कि दिल्ली में (हिंदू युवा वाहिनी द्वारा) और हरिद्वार (यति नरसिंहानंद द्वारा) में आयोजित दो अलग-अलग कार्यक्रमों में 17 और 19 दिसंबर 2021 के बीच नफरत भरे भाषणों में मुसलमानों के नरसंहार का खुलकर आह्वान किया गया। 

17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में तीन दिवसीय 'धर्म संसद' आयोजित की गई, जिसमें मुसलमानों को निशाना बनाने वाले नफरत भरे भाषणों की एक श्रृंखला देखी गई। उत्तराखंड पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ घटना के संबंध में धारा 153 ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि हरिद्वार धर्म संसद के आय़ोजकों और घृणित भाषण देने वालों का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया।

हरिद्वार और दिल्ली में धार्मिक सम्मेलनों के खिलाफ सीजेआई को भेजे पत्र में दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण और वृंदा ग्रोवर, सलमान खुर्शीद और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अंजना प्रकाश सहित प्रसिद्ध वकीलों के हस्ताक्षर हैं। पत्र में कहा गया है कि धर्म संसद में दिए गए भाषणों के दौरान वक्ताओं ने न केवल अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया बल्कि विशेष समुदाय के लोगों की हत्या का खुला आह्वान किया।

पत्र में पुलिस की निष्क्रियता का संदर्भ दिया गया क्योंकि उन्होंने सीजेआई को सूचित किया कि कैसे पहले नफरत भरे भाषणों के संबंध में आईपीसी के 153, 153ए, 153बी, 295ए, 504, 506, 120बी, 34 के प्रावधानों के तहत कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इस प्रकार, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

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