Climate Change News: जलवायु परिवर्तन ने पूरी दुनिया पर गहरा असर डाला है। इसकी वजह से कई देशों में गंभीर संकट भी देखने को मिले हैं। इस बीच विश्व आर्थिक मंच (WEF) के एक सर्वे के मुताबिक, भारत के करीब दो तिहाई लोगों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन का पहले ही उन क्षेत्रों में गंभीर प्रभाव पड़ा है, जहां वे रहते हैं और इस बात की आशंका है कि अगले 25 सालों में उनके परिवार अपने घरों से विस्थापित हो जाएंगे। यह सर्वेक्षण इपसोस ग्लोबल एडवाइजर ऑनलाइन सर्वे प्लेटफॉर्म पर 22 जुलाई से 5 अगस्त के बीच 34 देशों के 23, 507 लोगों के बीच किया गया था।
पूरी दुनिया पर पड़ा है जलवायु परिवर्तन का असर
34 देशों में सर्वे के दायरे में शामिल किए गए सभी वयस्कों में से आधे से भी ज्यादा (56 फीसदी) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का पहले से ही उन क्षेत्रों में गंभीर प्रभाव पड़ा है जहां वे रहते हैं। सर्वे में शामिल 22 देशों में अधिकतर लोगों का कहना है कि वे लोग जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हैं। इनमें वे 9 देश भी शामिल हैं जहां यह आंकड़ा दो तिहाई से अधिक है। इनमें मेक्सिको (75 फीसदी), हंगरी (74 फीसदी), तुर्की (74 फीसदी), कोलंबिया (72 फीसदी), स्पेन (71 फीसदी), इटली (70 फीसदी), भारत (69 फीसदी), चिली (69 फीसदी) और फ्रांस (68 फीसदी) शामिल हैं।
जलवायु परिवर्तन के खतरे को समझने लगे हैं लोग
सर्वे के नतीजों में कहा गया है कि 10 में से 7 से ज्यादा (करीब 71 फीसदी) लोगों को इस बात की आशंका है कि अगले 10 वर्षों में उनके क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इसमें कहा गया है कि भारत में सर्वे में शामिल लोगों में से 76 प्रतिशत ने ऐसी आशंका जतायी है। इसमें कहा गया है कि अगले एक दशक में जलवायु परिवर्तन से गंभीर रूप से प्रभावित होने के बारे में सभी देशों के अधिकतर लोगों ने चिंता जतायी है। इनमें मलेशिया में 52 प्रतिशत तो पुर्तगाल, मैक्सिको, हंगरी, तुर्की, चिली, दक्षिण कोरिया, स्पेन और इटली में 80 फीसदी से ज्यादा लोग शामिल हैं।
भारत के 65 फीसदी लोगों को सता रहा डर
सर्वे के नतीजों के मुताबिक, अगले 25 सालों में जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप एक तिहाई (35 प्रतिशत) लोगों ने अपने घरों से विस्थापित हो जाने की आशंका व्यक्त की है। ऐसी आशंका जताने वालों में सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से भारत के दो-तिहाई या 65 फीसदी लोग शामिल हैं। भारत के अलावा तुर्की (64 प्रतिशत) मलेशिया (49 प्रतिशत), ब्राजील (49 प्रतिशत), स्पेन (46 फीसदी) और दक्षिण अफ्रीका (45 प्रतिशत) शामिल हैं।