'मुंबई, कोच्चि, मैंगलोर, चेन्नई, विशाखापट्टनम और तिरुवनंतपुरम में कई बड़ी इमारतें और सड़कें 2050 तक समंदर में समा जाएंगी।' ऐसा कहना है ग्लोबल रिस्क मैनेजमेंट (RMSI)का। RMSI के एनालिसिस में पाया गया है कि मुंबई का हाजी अली दरगाह, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे, बांद्रा-वर्ली सी-लिंक के डूबने का खतरा है। RMSI ने यह बात इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की असेसमेंट रिपोर्ट के आधार पर कही है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के नए डेटा और प्रभाव को लेकर बनाए गए मॉडल का भी इस्तेमाल किया गया है। जलवायु परिवर्तन को लेकर पब्लिश की गई सबसे लेटेस्ट इस रिपोर्ट का नाम ' क्लाइमेट चेंज 2021: द फिजिकल साइंस बेसिस' है। इस एनालिसिल के लिए देश के 6 तटीय शहरों- मुंबई, चेन्नई, कोच्चि, विशाखापट्टनम, मैंगलोर और तिरुवनंतपुरम को शामिल किया गया है।
2050 तक भारत के चारों ओर समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ जाएगा
RMSI के एक्सपर्ट्स ने इन शहरों के समुद्री किनारे के लिए एक हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मॉडल तैयार किया। इसके बाद जलस्तर और बाढ़ को मापने के लिए एक मैप तैयार किया। IPCC ने अनुमान जताया है कि 2050 तक भारत के चारों ओर समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ जाएगा।
जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने क्या कहा?
इंडियन इंस्टीट्यू ऑफ ट्रॉपिकल मीटियरोलॉजिकल डिपार्टमेंट के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने बताया कि, 'तटीय शहरों के डूबने का एकमात्र फैक्टर समुद्र के जलस्तर में इजाफा ही नहीं है। तटीय इलाके पहले से ही जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रहे हैं।' मैथ्यू ने कहा- 'समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी और इन सभी घटनाओं से तटीय बाढ़ बढ़ सकती है, जिसका असर एक बड़े इलाके पर पड़ेगा। हमें इन घटनाओं पर तत्काल निरानी और स्टडी करने की ज़रूरत है।'
कॉन्टिनेंटल शेल्फ से क्या होगा ?
RMSI के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पुष्पेंद्र जौहरी ने कहा कि, 'तटीय शहरों में कितना पानी अंदर के इलाकों में जाएगा, यह बात पर निर्भर करेगा कि हमारे पास किस तरह का कॉन्टिनेंटल शेल्फ है। कॉन्टिनेंटल शेल्फ समुद्र के नीचे डूबे हुए कॉन्टिनेंट का किनारा होता है। जलस्तर में बढ़ोतरी का असर अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग होगा।'