पटना। देश में हाल के दौर में बाल यौन शोषण के मामले तेजी से बढ़े हैं। इन बढ़ते मामलों पर राज्यसभा में भी चिंता जताई गई है। द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा छात्रों को जागरुक बनाने पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए स्कूलों में नियमित रूप से कार्यशालाओं को आयोजित किया जाना चाहिए। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2018 और 2020 के बीच ‘यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण’ अधिनियम के तहत लगभग 40,000 मामले दर्ज किए गए हैं।
द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि ये दर्ज किए गए मामले हैं और काफी मामले ऐसे होते हैं जिनको दर्ज ही नहीं किया जाता है। 2020 में कोविड महामारी की अवधि के दौरान बच्चों के यौन शोषण के मामलों की संख्या में गिरावट आई थी लेकिन अब यह फिर से बढ़ने लगी है। शिवा ने कहा कि ‘बच्चे हमारे समाज में बहुत कमजोर हैं। उनके खिलाफ इस तरह का यौन शोषण उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत प्रभावित करता है और कभी-कभी ऐसी दर्दनाक यादें देता है, जो बच्चे अपने पूरे जीवन में भूल नहीं सकते हैं।’
एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए द्रमुक सांसद ने कहा कि ज्यादातर भारतीय स्कूलों में या तो ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। यदि वे ऐसी कोई कोशिश भी करते हैं, तो अधिकांश छात्रों को इस कानून के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस तरह यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। बच्चों को शोषण से बचाने की व्यवस्था की कमजोरियों को तत्काल बहुत गंभीरता से दूर किया जाना चाहिए। हर स्कूल के लिए यह अनिवार्य बनाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की जरूरत है कि छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए नियमित कार्यशालाएं आयोजित की जाएं। उनको इस बारे में जागरूकता होनी चाहिए और सभी छात्रों और अध्यापकों को इसके बारे में जागरूक बनाया जाना चाहिए। अन्य दलों के कई सांसदों ने इस मुद्दे पर द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा का समर्थन किया।