नयी दिल्ली: देश में अक्सर इस बात की चर्चा होती है कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को इस बात की जानकारी दी कि देश की अदालतों में अभी कितने मामले लंबित हैं। विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने सदस्यों के सवालों के जवाब में बताया कि सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और निचली अदालतों में अभी कुल मिलाकर 4.82 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं तथा पिछले वर्ष की तुलना में 2022 में निचली अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में 4.32 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
कई लोकसभा सदस्यों ने पूछे थे सवाल
लोकसभा में शंकर लालवानी, अरूण कुमार सागर, संगीता आजाद, रंजीता कोली, मनोज राजोरिया, के सुरेश, भारतीबेन डी श्याल, बालक नाथ, गोपाल शेट्टी, गौरव गोगोई, सुमेधानंद सरस्वती, संजय सेठ, हनुमान बेनीवाल, चंद्राणी मुर्मू, डी एम कथीर आनंद और सप्तगिरी शंकर उलाका ने अदालतों में लंबित मामलों की संख्या के बारे में प्रश्न पूछा था, जिसके जवाब में रीजीजू ने लिखित उत्तर में यह बात कही। निचले सदन में रीजीजू द्वारा पेश किये गए आंकड़ों के अनुसार, ‘31 अक्तूबर 2022 तक सुप्रीम कोर्ट में 69,781 मामले लंबित थे। हाई कोर्ट्स में 53,51,284 मामले लंबित हैं जबकि निचली अदालतों में 4,28,26,777 मामले लंबित हैं।’
सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या घटी
रीजीजू के जवाब में बताया गया है कि अदालतों में लंबित मामलों पर विचार करने पर 2021 की तुलना में इस साल सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या में 0.65 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है जबकि हाई कोर्ट्स में 0.82 प्रतिशत की वृद्धि और निचली अदालतों में 4.32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई हैं। रीजीजू ने कहा कि अदालतों में मामलों के निपटान से कई चीजें जुड़ी होती हैं जिसमें जजों और न्यायिक अधिकारियों एवं सहायक कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या, बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, साक्ष्यों की प्रकृति और हितधारकों का सहयोग जैसे विषय शामिल हैं।
‘इस साल सुप्रीम कोर्ट ने 29,109 मामले निपटाए’
रीजीजू ने कहा कि इसमें अन्य बातों के साथ-साथ जजों के पदों का रिक्त होना, बार-बार स्टे, सुनवाई के लिये मामलों की निगरानी और अन्य बातें शामिल है। मंत्री ने कहा कि इस साल 31 अक्टूबर 2022 तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा निपटाए गए मामलों की कुल संख्या 29,109 है। रीजीजू ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि न्यायालयों में लंबित मामलों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव के असर पर कोई स्टडी शुरू नहीं की गई है। मंत्री ने कहा कि कम्प्यूटरीकृत जिला एवं अधीनस्थ अदालतों की संख्या बढ़कर 18,735 हो गई है।
पॉक्सो ऐक्ट के मामलों को निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट
रीजीजू ने बताया कि केंद्र सरकार ने IPC के अधीन पॉक्सो ऐक्ट के अधीन लंबित मामलों के शीघ्र निपटान के लिये पूरे देश में 1023 त्वरित निपटान विशेष अदालत की स्थापना के लिये योजना को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि अब तब 28 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को इस योजना में जोड़ा गया है। मंत्री के जवाब के मुताबिक, योजना के लिये वित्त वर्ष 2019-20 में 140 करोड़ रुपये, 2020-21 में 160 करोड़ रुपये, 2021-22 के दौरान 134.55 करोड़ रुपये और इस साल अक्टूबर 2022 तक 53.55 करोड़ रुपये जारी किये गए हैं।