Monday, November 04, 2024
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किसी के पैर में लगी गोली, तो कोई खिड़की से कूदा... 26/11 की उस खौफनाक रात की कहानी, जब बंदूक लिए लोगों को मारते रहे आतंकी

26/11 Mumbai Terror Attack: मुंबई में 2008 में आतंकी हमले हुए थे। जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। ये लोग आज भी उन डरावनी यादों को भूल नहीं पाए हैं।

Written By: Shilpa @Shilpaa30thakur
Updated on: November 26, 2022 15:53 IST
पीड़ितों के लिए आज भी ताजा हैं हमले की यादें- India TV Hindi
Image Source : PTI पीड़ितों के लिए आज भी ताजा हैं हमले की यादें

देश पर 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तानी आतंकियों ने हमला कर दिया था, जिसे अब 14 साल का वक्त पूरा हो गया है। लोगों के जहन में भले ही हमले की यादें धुंधली पड़ गई हों लेकिन जो इसके शिकार बने, वो आज तक उस भयानक मंजर को नहीं भूले हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हमले के वक्त देविका रोटावन 9 साल और 11 महीने की थी। वह अभी भी न्याय की तलाश में हैं। उन्हें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर अंधाधुंध गोलीबारी के दौरान दाएं पैर पर गोली लगी थी। उनका कहना है, "कई बार जब मैं दौड़ती हूं और ठंड होती है, तो ये दुखता है। ये मुझे भूलने नहीं दे रहा है।" रोटावन हमले के दौरान बेहोश हो गई थीं लेकिन उससे पहले उन्होंने एक आदमी को बंदूक लिए खड़े देखा था, जो 20 फीट से भी कम दूरी पर था। जब उन्हें होश आया, तब वह सेंट जॉर्ज अस्पताल में थीं। उनकी सर्जरी की गई और कुछ समय तक बैसाखी का सहारा भी लेना पड़ा। 

जून 2009  में उन्हें कसाब की पहचान के लिए आर्थर रोड जेल की विशेष अदालत में ले जाया गया। उनका कहना है, "मैं विटनेस स्टैंड में थी और कसाब जज के पास बैठा था। मैं उस पर बैसाखी फेंकना चाहती थी या गोली मारना चाहती थी।" 21 नवंबर, 2012 में कसाब को फांसी दे दी गई। लेकिन रोटावन का मानना है कि पूरा न्याय तभी होगा जब हमले के मास्टरमाइंट को सजा मिलेगी। वह कहती हैं, "अभी तक न्याय नहीं हुआ है और इसलिए मैं पुलिस बनना चाहती हूं।" 

पहली नौकरी नहीं भूल पाएंगे रौनक

अन्य लोगों की बात करें, तो 26/11 हमले से महज छह महीने पहले ही रौनक किंगर ने ताज महल होटल में ट्रेनी के तौर पर नौकरी की शुरुआत की थी। यह उनकी पहली नौकरी थी। उस रात, वह गेटवे रूम में कॉर्पोरेट डिनर की तैयारी कर रहे थे। तब 21 साल के रौनक ने जब गोलीबारी की आवाज सुनी, तो उन्हें लगा कि यह पटाखे हैं। जल्द ही उन्हें और उनके सहकर्मियों को कहा गया कि लाइट्स और दरवाजे बंद कर लें और फर्श पर झुक जाएं। घंटों बाद, वह खिड़की तोड़ने में कामयाब रहे। फिर उन्होंने परदों का रस्सी के तौर पर इस्तेमाल किया और वहां से बचकर निकल गए। जब रौनक की कूदने की बारी थी, तो उनके हाथ में परदा दिया गया। उनका कहना है कि, "मैं अपने घुटनों पर कांच के छींटे लिए फुटपाथ पर उतरा।" 

रौनक किंगर ने नौकरी छोड़ने से पहले चार साल तक ताज के साथ काम किया है। वह कहते हैं, "वो कहते हैं कि तुम कभी अपनी पहली नौकरी नहीं भूल सकते। मेरे लिए, मैं हर दिन उस हिस्से को ढोता हूं।" वह अब जोमैटो में असिस्टेंट वाइस-प्रेजिडेंट-कलीनरी एक्सपीरियंस हैं। वहीं एक सीनियर काउंसल सुदीप्तो सरकार के लिए वो एक ऐसी रात थी, जिसे वो याद नहीं करना चाहते। वह तब ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल के रूम नंबर 2806 में ठहरे हुए थे। उनका कहना है, "मैं उस बारे में नहीं सोचता। मैं काम और अन्य चीजों में व्यस्त रहता हूं।"

26 नवंबर, 2008 को, पाकिस्तान से आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे और 60 घंटे तक चले उनके आतंकी कृत्य में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। हमलों में 140 भारतीय नागरिकों और 23 अन्य देशों के 26 नागरिकों की मौत हो गई थी।

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