विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुंबई आतंकी हमलों के 14 साल पूरे होने पर कहा कि आतंकवादी हमलों की साजिश में शामिल लोगों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए। जयशंकर ने हमले की 14वीं बरसी पर ट्वीट किया, ‘‘आतंकवाद मानवता के लिए खतरा है। आज 26/11 के दिन पूरी दुनिया भारत के साथ मिलकर इसके (हमला) पीड़ितों को याद कर रही है। जिन लोगों ने इन हमलों की साजिश रची, उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जिम्मेदार सदस्यों के रूप में ‘‘यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पीड़ितों के दुख को याद रखें और आतंकवादियों को न्याय दिलाने के प्रयासों में जुटे रहें।’’ जयशंकर ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक संक्षिप्त वीडियो में कहा कि जब आतंकवाद की बात आती है, तो भारत इसे कभी नजरअंदाज नहीं करेगा। जयशंकर ने कहा, ‘‘हम कभी समझौता नहीं करेंगे और न्याय सुनिश्चित करने के अपने प्रयास को कभी नहीं छोड़ेंगे।’’
द वर्ल्ड जूइश कांग्रेस (डब्ल्यूजेसी) ने कहा है कि वह आतंकवाद पर चिंता व्यक्त करने और उन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए जो मुंबई आतंकवादी हमलों में मारे गए हैं, 166 पीड़ितों के लिए शोक मनाने के लिए भारत सरकार के साथ है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुंबई आतंकवादी हमले की बरसी पर शनिवार को कहा कि देश उन सभी लोगों को कृतज्ञता के साथ याद करता है जिन्हें देश ने खो दिया। राष्ट्रपति ने उन सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और कर्तव्य निर्वहन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। मुर्मू ने ट्वीट किया, ‘‘26/11 के मुंबई आतंकी हमलों की बरसी पर, राष्ट्र उन सभी को कृतज्ञता के साथ याद करता है जिन्हें हमने खो दिया। हम उनके प्रियजनों और परिवारों की पीड़ा को समझते हैं। राष्ट्र उन सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और कर्तव्य निर्वहन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया।’’
“एक ऐसा घाव है जो कभी नहीं भरेगा”
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि 26/11 का आतंकी हमला “एक ऐसा घाव है जो कभी नहीं भरेगा” और उनकी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि ऐसी घटना दोबारा न हो। भारतीय जनता पार्टी के नेता और राज्य के गृह मंत्री फड़णवीस ने कहा कि हमले को लेकर खुफिया जानकारी थी लेकिन तत्कालीन सरकार उसे रोकने के लिए कार्रवाई नहीं कर सकी। फड़णवीस ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले की 14वीं बरसी की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रकाशित पत्रिका पांचजन्य द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं। उन्होंने दावा किया कि खुफिया जानकारी थी, लेकिन उस समय की सरकार उस पर कार्रवाई नहीं कर सकी और कोई समन्वय नहीं था।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, ''हमले के बाद, सीसीटीवी नेटवर्क के माध्यम से निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। 2009 के बाद से निविदा जारी की गई लेकिन बाद में रद्द कर दी गई। परियोजना कभी शुरू नहीं हुई । 2014 में जब मैंने मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला, तभी इस परियोजना को गति मिली और इसका पहला चरण एक साल में पूरा हो गया।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चेहरा पहचानने वाले कैमरे भी लगाएगी, जिनमें कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल) इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है।
26 नवंबर, 2008 को, पाकिस्तान से आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे और 60 घंटे तक चले उनके आतंकी कृत्य में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। इनमें 140 भारतीय नागरिकों और 23 अन्य देशों के 26 नागरिकों की मौत हो गई थी।