Highlights
- भारत और चीन के बीच खत्म हुई 16वें दौर की सैन्य वार्ता
- सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन पाई
- समाधान निकालने के लिए बातचीत को जारी रखने सहमति
16th Round of India-China Military Talks: भारत और चीन के बीच हुई 16वें दौर की सैन्य वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों को हल करने को लेकर सहमति नहीं बन सकी। हालांकि, दोनों देशों के बीच इन मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान निकालने के लिए बातचीत को जारी रखने पर सहमत बन गयी है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच रविवार को हुई 16वें दौर की बातचीत के दौरान यह सहमति बनी।
भारत ने चीन के सामने रखी ये बातें
भारत और चीन की सेनाओं की ओर से जारी एक संयुक्त बयान के मुताबिक इस बात की फिर से पुष्टि की गई है कि पेंडिंग मुद्दों के समाधान से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति व्यवस्था बहाल करने में मदद मिलेगी और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में भी प्रगति होगी। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सैन्य वार्ता के दौरान भारत ने चीन से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले सभी स्थानों से सैनिकों को जल्द से जल्द हटाने के लिए कहा और अप्रैल 2020 में सैन्य गतिरोध शुरू होने से पहले की यथास्थिति की बहाली की भी मांग की।
दोनो देश बातचीत जारी रखने पर हुए सहमत
संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में जमीन सीमा पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए और लगातार "निकट संपर्क" में बने रहने और सैन्य और राजनयिक माध्यमों के जरिए बातचीत को जारी रखने को लेकर सहमत हुए हैं। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों देशों ने अपने 50 से 60 हजार तक सैनिक तैनात किए हुए हैं।
वार्ता का इन कोर कमांडर ने किया नेतृत्व
वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14वें कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया जबकि चीनी दल का नेतृत्व दक्षिण शिंजियांग सैन्य जिले के प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया। दोनों देशों के बीच 15वें दौर की सैन्य वार्ता 11 मार्च को हुई थी और इसमें विवाद सुलझाने को लेकर कोई सफलता नहीं हासिल हुई थी।
मई 2020 के बाद शुरू हुआ गतिरोध
गौरतलब है कि पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हुआ था। इसके बाद से दोनों देशों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर LAC पर अपनी तैनाती बढ़ा दी थी। देशों ने भारी भरकम हथियारों के साथ ही 50,000 से 60,000 सैनिकों की तैनाती की हुई है।