वडोदरा: क्या आपने 108 फीट लंबी अगरबत्ती देखी है? गुजरात के वडोदरा में इसे तैयार किया जा रहा है। इसे तैयार होने के बाद अयोध्या भेजा जाएगा।बता दें कि यूपी के अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है। इस कार्यक्रम के लिए पूरा देश उत्साहित है।
इस अगरबत्ती में गाय के गोबर, गाय का घी, पेड़ की लकड़ी, तिल, जौं, हवन सामग्री समेत तमाम चीजों का इस्तेमाल किया गया है। इसे बनाने में काफी खर्च हुआ है, जिसकी अनुमानित लागत लाखों में है। इसे अयोध्या भेजने में भी लाखों का खर्च आने की संभावना है।
अयोध्या में जोरों से चल रही प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारी
22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है, जिसमें बड़े पैमाने पर विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों को बुलाया गया है। हालही में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अपने एक्स हैंडल पर बताया था कि सभी परंपराओं के साधु-संत के साथ ही किसी भी क्षेत्र में देश का सम्मान बढ़ाने वाले सभी प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया है। नवस्थापित तीर्थक्षेत्रपुरम (बाग बिजैसी) में टिन का नगर बसाया गया है जिसमे 6 नलकूप, 6 रसोई घर और 10 बिस्तरों वाला एक अस्पताल स्थापित किया जा रहा है।
देशभर के लगभग डेढ़ सौ चिकित्सकों ने इसमें क्रमिक सेवा के लिए अपनी स्वीकृति दी है। इसके साथ नगर के हर कोने में लंगर, भोजनालय, भण्डारा, अन्नक्षेत्र चलेंगे। करीब चार हजार संतों को आमंत्रण भेजा गया है। प्रयास है कि सभी परंपराओं के संत आएं।
सभी शंकराचार्य महामण्डलेश्वर सिख और बौद्ध पंथ के शीर्ष सन्तों को बुलावा भेजा गया है। स्वामी नारायण, आर्ट ऑफ लिविंग, गायत्री परिवार, किसान, कला जगत के प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया है। 1992 से 1984 के बीच सक्रिय पत्रकारों को भी बुलावा भेजा गया है।
इसके अलावा कारसेवकों के परिजनों को भी निमंत्रण भेजा गया है। रामलला की मूर्ति तीन मूर्तिकारों गणेश भट्ट, अरुण योगिराज, सत्यनारायण पांडेय द्वारा टियर की जा रही है, इनमें में से जो भी मूर्तिकार पांच वर्ष के बालक की कोमलता को उकेरने में सफल होगा, उसी की मूर्ति चुनी जाएगी।
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का पूजन 16 जनवरी से शुरू हो जाएगा। काशी के गणेश्वर शास्त्री द्राविड़, लक्ष्मीकांत दीक्षित (कर्मकांड) पूजा सम्पन्न कराएंगे। प्राण-प्रतिष्ठा पूजन के बाद 48 दिन की मंडल पूजा होगी जो विश्वप्रसन्न तीर्थ जी के नेतृत्व में होगी।