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रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा, हर घर पहुंचा नमक में प्लास्टिक का ज़हर

समंदर के पानी से ही नमक बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत होती है और यही कच्चा नमक बड़ी बड़ी फेक्ट्रियों तक पहुंचता है। शोधकर्त्ताओं का दावा है कि है जब पानी में प्लास्टिक के बेहद छोटे कण होंगे तो वो इस समुद्री नमक के साथ ही देश विदेश की फैक्ट्रियो में भी पहुंच रहे होंगे।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 07, 2018 10:48 IST
रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा, हर घर पहुंचा नमक में प्लास्टिक का ज़हर- India TV Hindi
रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा, हर घर पहुंचा नमक में प्लास्टिक का ज़हर

नई दिल्ली: एक रिसर्च में दावा किया गया है कि आपके घर में जो नमक इस्तेमाल हो रहा है वो जहरीला हो सकता है। बगैर नमक के लंच या डिनर तो क्या जिंदगी ही मुश्किल है। आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे मुमकिन है कि हमारे खाने में जो प्यूरिफाइड और बड़े ब्रैंड के नमक का इस्तेमाल हो रहा है उसमें ज़हर हो सकता है। खाना खाते वक्त किसी ने ऐसा सोचा नही होगा कि एक धीमा ज़हर हम खुद ही अपने शरीर के अंदर डाल रहे है।

दुनिया के तीसरे सबसे बड़े नमक उत्पादक हिंदुस्तान में 70 फीसदी नमक समंदर के पानी से बनाया जाता है। समंदर के उस खारे पानी से जिसमें प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े घुले हैं। आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट के मुताबिक समंदर के पानी से बनाए जा रहे नमक में प्लास्टिक के कण भी मौजूद हैं जो कैंसर जैसी जानेलेवा बीमारी की वजह बन सकते हैं।

रिसर्च के मुताबिक आपकी थाली तक प्लास्टिक और फाइबर का ज़हर पहुंचने की दो वजहे हैं। वेजिटेरियन लोग मछली भले ही न खाते हों लेकिन नमक का इस्तेमाल करना तो सभी के लिए एक बड़ी जरूरत है। हमारी थाली तक इस प्लास्टिक जहर के पहुंचने की शुरुआत घर से ही होती है। हम प्लास्टिक कचरे में फेंक देते है, ये कचरा नालियों तक पहुंच जाता है और नालों से होता हुआ ये सारा प्लास्टिक नदियों में जाकर गिरता है। नदियां समंदर में मिलती हैं और प्लास्टिक नदियों के जरिए ही समंदर तक पहुंच जाता है।

इसी समंदर के पानी से नमक बनता है। इसी समंदर से मछलियां आती हैं और प्लास्टिक के कण इन दोनों चीजों के जरिए हमारी रसोई और हमारी थाली तक पहुंच जाता है। रिसर्च के मुताबिक हिंदुस्तान के ज्यादातर लोगों के खाने में इन दिनों जिस नमक का इस्तेमाल हो रहा है उसमें प्लास्टिक के कण मौजूद हैं। ये इतने छोटे कण हैं कि प्यूरिफिकेशन के दौरान इन्हें अलग नहीं किया जा सकता और सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि ऐसे नमक के खाने से इंसान कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो सकता है। ये रिसर्च आईआईटी बॉम्बे के सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग का है।

आईआईटी बॉम्बे के सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल सायन्स एंड इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमृतांशु श्रीवास्तव ने 8 महीने तक नमक पर रिसर्च किया और रिपोर्ट बनाई की ब्रांडेड नमक में भी प्लास्टिक और फाइबर के सूक्ष्म कण है। दुनिया भर के समंदर में प्लास्टिक के कचड़े का बड़ा अंबार लग चुका है। समंदर में साबुत दिखाई देनेवाले प्लास्टिक का काफी अंश समुद्र में रह जाता है। इसकी अहम वजह सूरज से निकलने वाली गर्मी है तो वहीं लहरों से होनेवाले लगातार घर्षण। हिंदुस्तान के समंदर में भी उस प्रकिया के तहत प्लास्टिक काफी छोटे छोटे टुकड़े में टूट जाता है। इतने छोटे जिन्हे आंखो से देखना मुश्किल है।

समंदर के पानी से ही नमक बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत होती है और यही कच्चा नमक बड़ी बड़ी फेक्ट्रियों तक पहुंचता है। शोधकर्त्ताओं का दावा है कि है जब पानी में प्लास्टिक के बेहद छोटे कण होंगे तो वो इस समुद्री नमक के साथ ही देश विदेश की फैक्ट्रियो में भी पहुंच रहे होंगे। नामी कंपनियों के पैकेट से निकला ये नमक बिल्कुल सफेद और शुद्ध नजर आता है। नमक के नाम पर हम कभी भी कीमत को लेकर समझौता भी नहीं करते लेकिन अब रिसर्च में ये बात सामने आई है कि इसी शुद्ध और सफेद नमक में जहरीला प्लास्टिक भी है।

समंदर में मौजूद प्लास्टिक का अंजाम बेहद डरावना है। नमक पर हुए रिसर्च में माइक्रो फाइबर्स भी मिले हैं। यानी नमक के जरिए हमारे खाने में माइक्रो फाइबर भी मौजूद है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। नमक ही नहीं बल्कि सी फूड खानेवालों के लिए भी बड़ी चेतावनी है कि समंदर में रहनेवाली मछलियां भी उस पानी के बीच जिंदगी गुजार रही है जिसमें माइक्रो प्लास्टिक घुला हुआ है। नॉन वेज खाने वाले लोगों में इस तरह से जहर का डबल डोज़ पहुंच रहा है।

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