जयपुर: कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए हुए लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा में फंसे उत्तर प्रदेश के लगभग 8 हजार छात्र-छात्राओं को वापस लाने के लिए योगी सरकार ने 250 बसें भेजी थीं। इन बसों पर सवार होकर इनमें से कई छात्र-छात्राएं यूपी में अपने गृह जिलों की तरफ रवाना भी हो गए, लेकिन उसके पहले का नजारा हैरान करने वाला था। महज 2 हजार बच्चों में भी कोटा प्रशासन सोशल डिस्टैंसिंग नहीं करवा पाया और सरेआम लॉकडाउन की धज्जियां उड़ गईं।
झांसी और आगरा से भेजी गई थीं बसें
बता दें कि कोटा में फंसे छात्रों को लाने के लिए 100 बसें झांसी से और 150 बसें आगरा से भेजी गई थीं। इन बसों में यूपी के 8000 बच्चों को भेजा जाना तय हुआ है। इन सभी को उनके गृह जनपद भेजने से पहले स्कैनिंग भी की जा रही है, लेकिन प्रशासन की चूक के चलते एक ही जगह पर सैकड़ों बच्चे इकट्ठा हो गए। जहां पर बसें खड़ी थीं वहां बस स्टैंड जैसा नजारा हो गया और सोशल डिस्टैंसिंग का कोई मतलब ही नहीं रहा। पूरे मामले में कोटा प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही थी।
जानें, कोटा प्रशासन ने क्या कहा
इस पूरे मामले पर कोटा के आईजी रविदत्त गौड़ ने यह माना कि मौके पर सोशल डिस्टैंसिंग का पालन नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि पुलिस इसे करवाने की पूरी कोशिश कर रही है। वहीं, जिला कलेक्टर ओम कसेरा ने इस मामले पर बात करने से साफ इनकार कर दिया। बता दें कि राजस्थान कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है और कोटा में भी संक्रमण के मामले सामने चुके हैं। ऐसे में प्रशासन द्वारा की गई छोटी-सी लापरवाही भी भारी पड़ सकती है।