Wednesday, December 18, 2024
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Kargil: "मैंने 22 साल पहले 17 गोलियां खाकर वो पहाड़ी देश के लिए वापिस हासिल की थी"

करगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने में भारतीय सेना के कई नायकों ने अदम्य साहस दिखाया था, जिनमें से एक सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव हैं। युद्ध में उन्हें 17 गोलियां लगी थीं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : July 26, 2021 23:43 IST
Kargil: "मैंने 22 साल पहले 17 गोलियां खाकर वो पहाड़ी देश के लिए वापिस हासिल की थी"
Image Source : TWITTER Kargil: "मैंने 22 साल पहले 17 गोलियां खाकर वो पहाड़ी देश के लिए वापिस हासिल की थी"

नई दिल्ली: देश आज करगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ मना रहा है। दरअसल, भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच 1999 में लद्दाख में स्थित करगिल की पहाड़ियों पर लड़ाई हुई थी और भारतीय सेना ने करगिल की पहाड़ियां फिर से अपने कब्जे में ले ली थीं। इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई थी, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ कर वहां अपने ठिकाने बना लिए थे।

करगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने में भारतीय सेना के कई नायकों ने अदम्य साहस दिखाया था, जिनमें से एक सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव हैं। युद्ध के वक्त उनकी उम्र 19 साल थी। तब वह ग्रेनेडियर थे। वह 18वीं बटालियन में थे। युद्ध में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया है। आज करगिल विजय दिवस के मौके पर पीआरओ उधमपुर, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस ने उनकी एक फोटो ट्वीट की है।

पीआरओ उधमपुर की ओर से ट्वीट की गई फोटो में सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव नजर आ रहे हैं। वह कलगिल की उन पहाड़ियों की ओर इशारा कर रहे हैं, जहां युद्ध हुआ था। तस्वीर के कैप्शन में लिखा है, "मैने 22 साल पहले वह पहाड़ी मेरे देश के लिए वापस हासिल की थी। मुझे इसके लिए सिर्फ 17 गोलियां खानी पड़ीं!

कौन हैं योगेंद्र सिंह यादव?

ऑपरेशन विजय के दौरान अठारहवीं ग्रेनेडियर्स के ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव घातक प्लाटून के सदस्य थे, जिन्हें टाइगर हिल टॉप पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था। 03 जुलाई 1999 को दुश्मन की भारी गोलाबारी के बीच अपनी टीम के साथ उन्होंने बर्फीली खड़ी चट्टान पर चढ़ाई की और वहां स्थित बंकर को ध्वस्त कर दिया, जिससे प्लाटून उस खड़ी चट्टान पर चढ़ने में कामयाब हो गई। 

अतुलनीय ताकत का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने दूसरे बंकर पर हमला कर उसे भी ध्वस्त कर दिया और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला। उनके शौर्यपूर्ण कारनामे से प्रेरित होकर प्लाटून को नया साहस मिला तथा उसने अन्य ठिकानों पर हमला कर दिया और अंततः टाइगर हिल टॉप पर वापस कब्जा कर लिया। अदम्य साहस और सर्वोच्च कोटि के शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए योगेंद्र सिंह यादव को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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