नयी दिल्ली: केंद्र ने यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को शुक्रवार को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंधित कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि संगठन पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को कथित तौर पर बढ़ावा देने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने बताया कि संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया गया है। इसके प्रमुख यासीन मलिक गिरफ्तार हैं और फिलहाल वह जम्मू की कोट बलवल जेल में बंद हैं।
केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने बताया कि जेकेएलएफ को प्रतिबंधित कर दिया गया है क्योंकि सरकार की आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति है। गौबा ने कहा कि जेकेएलएफ जम्मू कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों में सबसे आगे है, वह 1989 में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के लिये जिम्मेदार रहा है, जिसकी वजह से उन्हें राज्य से बाहर पलायन करना पड़ा।
गृह सचिव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और पत्थरबाज़ों को पैसा देने में JKLF की अहम भूमिका रही है। इसके अलावा यासिन मलिक पर नब्बे के दशक में उस वक्त के होम मिनिस्टर मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉक्टर रूबिया सईद के किडनैपिंग और एयरफोर्स के अफसरों की हत्या का भी आरोप है। राजीव गौबा ने कहा कि 1988 से ही JKLF कश्मीर घाटी में हिंसा भड़काने, कश्मीर पंडितों की हत्या और उन्हें यहां से भगाने में शामिल रहा है। JKLF के खिलाफ सरकार के पास पुख्ता इस बात की जानकारी और सबूत है कि JKLF राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। JKLF देश के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को भड़काने की दिशा में काम कर रहा है।
आपको बता दें कि यह जम्मू-कश्मीर में दूसरा संगठन है जिसे इस महीने प्रतिबंधित किया गया है। इससे पहले, केंद्र ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर प्रतिबंध लगा दिया था।