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प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल से अरिफा का संदेश- महिलाएं, आत्मनिर्भर बनें

ट्वीट की श्रृंखला में जान ने कहा, "जब परंपराएं, आधुनिकता से मिलती हैं, तो चमत्कार हो सकते हैं। अपने काम में मैंने इसका अनुभव किया है। मैंने आधुनिक बाजार के लिए चीजें डिजाइन कीं और इन्होंने बहुत अच्छे ग्राहक और बड़ा टर्नओवर आकर्षित किया।"

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : March 08, 2020 18:36 IST
Arifa
Image Source : TWITTER महिलाएं, आत्मनिर्भर बनें: प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल से अरिफा का संदेश

नई दिल्ली| घाटी के नुमदाह हस्तकला से अपनी सफलता की कहानी लिखने वाली कश्मीरी महिला अरिफा जान ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ट्विटर हैंडल से संदेश दिया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर किए गए इस ट्वीट में उन्होंने लिखा कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और अन्य महिलाओं की भी मदद करें।

चेन्नई की सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहा मोहनडोस और बम-विस्फोट सर्वाइवर मालविका अय्यर के बाद 33 वर्षीय जान, तीसरी महिला हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया। 2019 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्राप्त करने के कुछ मिनट बाद ही रविवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ट्वीट किया गया। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा जिन 15 महिलाओं को पुरस्कार दिए गए, उनमें अरिफा जान भी एक हैं। 3 मार्च को मोदी ने घोषणा की थी कि वो 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट चुनिंदा महिलाओं को इस्तेमाल करने के लिए देंगे।

जान ने ट्वीट किया, "प्रधानमंत्री एट द रेट नरेन्द्र मोदी के इस कदम ने मेरा मनोबल बढ़ाया है और यह मुझे शिल्प की बेहतरी के साथ-साथ कश्मीर के सभी कारीगरों के लिए कड़ी मेहनत करने में मदद करेगा।" उन्होंने लिखा, "मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और दूसरी महिलाओं को मदद करें।" ट्वीट की श्रृंखला में जान ने कहा, "जब परंपराएं, आधुनिकता से मिलती हैं, तो चमत्कार हो सकते हैं। अपने काम में मैंने इसका अनुभव किया है। मैंने आधुनिक बाजार के लिए चीजें डिजाइन कीं और इन्होंने बहुत अच्छे ग्राहक और बड़ा टर्नओवर आकर्षित किया।"

उन्होंने आगे कहा, "मैंने हमेशा कश्मीर के पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करने का सपना देखा क्योंकि यह स्थानीय महिलाओं को सशक्त बनाने का एक साधन है। मैंने महिला कारीगरों की स्थिति देखी और इसलिए मैंने नुमदाह शिल्प को संशोधित करने के लिए काम करना शुरू किया।" नुमदाह हस्तशिल्प की संस्थापक जान ने कश्मीर में 100 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है। उसने 25 कश्मीरी कारीगरों को नियुक्त किया है और अपने कर्मचारियों की मजदूरी 175 रुपये से बढ़ाकर प्रतिदिन 450 रुपये कर दी है।

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