Highlights
- पहली बार पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1 हजार से ऊपर पहुंची।
- सेक्स रेशियो में सुधार शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा बेहतर हुआ है।
- 23 राज्य ऐसे हैं जहां प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 1,000 से ज्यादा है।
नई दिल्ली: कभी मिसिंग वूमन की तोहमत झेलने वाले देश के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। देश में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आबादी में इजाफा हुआ है। अब हर 1,000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हैं। आजादी के बाद ये भी पहली बार है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1 हजार से ऊपर पहुंची है। यही नहीं, देश में प्रजनन दर में भी कमी आई है। ये आंकड़ा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में सामने आया है। इससे पहले 2015-16 में हुए सर्वे में ये आंकड़ा हर 1,000 पुरुष पर 991 महिलाओं का था।
जन्म के समय भी सेक्स रेशियो में सुधार हुआ है। 2015-16 में ये प्रति 1000 बच्चों पर 919 बच्चियों का थो, जो 2019-21 में सुधकर प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों का हो गया है। सर्वे में एक और बड़ी बात निकलकर सामने आई है वो ये कि प्रजनन दर एक महिला पर बच्चों की संख्या में कमी दर्ज की गई है। सर्वे के अनुसार औसतन एक महिला के अब केवल 2 बच्चे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों से भी कम है। हालांकि, इसकी पुष्टि को नई जनगणना के बाद ही हो पाएगी।
सेक्स रेशियो में सुधार शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा बेहतर
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों में ये भी निकलकर सामने आया है कि सेक्स रेशियो में सुधार शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा बेहतर हुआ है। गांवों में हर 1,000 पुरुषों पर 1,037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं हैं। पिछले सर्वे में भी यही बात निकलकर सामने आई थी। उस सर्वे के हिसाब से गांवों में प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,009 महिलाएं थीं और शहरों में ये आंकड़ा 956 का था।
23 राज्यों में महिलाओं की आबादी ज्यादा
देश के 23 राज्य ऐसे हैं जहां प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 1,000 से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश में प्रति हजार पुरुषों पर 1017, बिहार में 1090, दिल्ली में 913, मध्य प्रदेश में 970, राजस्थान में 1009, छत्तीसगढ़ में 1015, महाराष्ट्र में 966, पंजाब में 938, हरियाणा में 926, झारखंड में 1050 महिलाएं हैं।
आजादी के बाद से बिगड़ता गया सेक्स रेशियो
1901 में सेक्स रेशियो प्रति हजार पुरुषों पर 972 महिलाओं का था लेकिन आजादी के बाद ये संख्या कम होती गई। 1951 में ये आंकड़ा घटकर एक हजार पुरुषों पर 946 महिलाएं थीं। 1971 में ये और कम होकर 930 पर आ गया। 2011 की जनगणना के मुताबिक, ये आंकड़ा थोड़ा सुधरा और प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 940 पर पहुंच गई।
लड़के की चाहत में कमी नहीं
सर्वे में कहा गया है कि बच्चों के जन्म का लिंग अनुपात अभी भी 929 है यानी अभी भी लोगों के बीच लड़के की चाहत ज्यादा दिख रही है। प्रति हजार नवजातों के जन्म में लड़कियों की संख्या 929 ही है। हालांकि, सख्ती के बाद लिंग का पता करने की कोशिशों में कमी आई है और भ्रूण हत्या में कमी देखी जा रही है। वहीं, महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा जी रही हैं।