नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और कुल मामलों का आंकड़ा 3.3 लाख को पार कर गया है। पिछले 24 घंटे के दौरान देश में कोरोना वायरस के 11502 नए पॉजिटिव केस सामने आए हैं, जिसके साथ ही संक्रमण के कुल मामलों का आंकड़ा 332424 हो गया है। इन मरीजों के ईलाज में वेंटिलेटर से काफी मदद मिलती है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि भारत में वेंटिलेटर की कमी हो सकती है। अभी देश में लगभग 50,000 वेंटिलेटर हैं।
द सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकॉनमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) एक रिपोर्ट में दावा किया है कि पिछले 70 वर्षों में, भारत को सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में कुल 47 हज़ार वेंटिलेटर मिले हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर बताया जा रहा है कि PMCARES के साथ, एक ही झटके में, भारत को 50 हज़ार से अधिक वेंटिलेटर मिल जाएंगे।
बता दें कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच प्रधानमंत्री के निर्देश पर पीएम केयर्स (PM Cares) फंड बनाया गया था। पीएम मोदी के आह्वान पर देश का खास से लेकर आम लोग जमकर दान दिए। इस फंड से कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए 2100 करोड़ रुपए से वेंटिलेटर खरीदे जाएंगे।
अभी तक दुनियाभर में कोरोना के जो मरीज मिले हैं, उनमें से पांच प्रतिशत को सांस लेने से जुड़ी गंभीर समस्याएं होती हैं, जिस कारण उनका इलाज आईसीयू में ही किया जा सकता है। भारत में हर दिन कोरोना संक्रमित नए मामले मिलने की दर बढ़ रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अस्पतालों में वेंटिलेटर पर इलाज की जरुरत वाले मरीजों का भार बढ़ जाएगा और स्थिति अनियंत्रित हो जाएगी।
गौरतलब है कि वेंटिलेटर बनाने के लिए सरकार को मोटा बजट खर्चना होगा क्योंकि एक वेंटिलेटर की कीमत आठ से दस लाख रुपये होती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग को छोड़कर और कोई रास्ता नहीं है। कहा गया है कि भारत में कम से कम 10 लाख वेंटिलेटर्स की जरूरत होगी और अभी यहां सिर्फ 45-50 हजार वेंटिलेटर ही हैं। अमेरिका में 1.60 लाख वेंटिलेटर हैं लेकिन वह कम पड़ रहे हैं।