भाजपा ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव के लिए अपने 184 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट घोषित कर दी। इस लिस्ट की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अब वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की जगह पर गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। अमित शाह गांधीनगर के लिए नए नहीं हैं क्योंकि वह पिछले कई सालों से आडवाणी के चुनावों की देखरेख करते रहे हैं।
एक और दिग्गज नेता डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को लेकर भी सस्पेंस बना हुआ है। पिछले लोकसभा चुनावों में कानपुर सीट से जीत हासिल करने वाले जोशी का नाम गुरुवार को लिस्ट में नहीं था। ऐसी खबरें हैं कि जोशी चुनाव लड़ना चाहते हैं और पार्टी भी उनके जैसे सीनियर लीडर को ‘ना’ नहीं कहना चाहती। अभी तक उन्होंने किसी से बात नहीं की है, लेकिन इस बात के संकेत हैं कि आने वाले दिनों में उन्हें राज्यसभा में जाने और लोकसभा चुनाव लड़ने का जोखिम न उठाने के लिए मनाया जा सकता है।
184 उम्मीदवारों की यह सूची साफतौर पर बताती है कि प्रतियोगियों का चुनाव करते वक्त किस हद तक सावाधानीपूर्वक प्लानिंग की गई थी। पार्टी प्रमुख अमित शाह ने प्रत्येक सांसद के प्रदर्शन का रिपोर्ट कार्ड मंगाया था, और यह सारा काम पेशेवर लोगों द्वारा बेहद गोपनीय तरीके से किया गया। इन सीक्रेट रिपोर्टों के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन किया गया। मैंने उन रिपोर्टों की एक कॉपी देखी है जो इस बात का स्पष्ट संकेत देती हैं कि किसी उम्मीदवार की चुनाव जीतने की क्षमता का आंकलन किस तरह किया गया था।
यह साफ है कि पार्टी नेतृत्व ने सिर्फ उम्मीदवारों की जीतने की क्षमता के हिसाब से टिकट दिए। पार्टी ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया कि टिकट कटने से कौन नाराज होगा, कौन बागी बनेगा या कौन पार्टी छोड़ देगा। इस लिस्ट को तैयार करने में दूसरा अहम फैक्टर विपक्ष में साफतौर पर दिख रहा बिखराव रहा। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखा है तो बिहार में ‘महागठबंधन’ अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं कर पाया है। वहीं, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और लेफ्ट-कांग्रेस अलायंस भी खत्म हो चुका है।
जाहिर है, भारतीय जनता पार्टी ने पहले राउंड में बाजी मार ली है। इस बार लोकसभा चुनावों में भाजपा का पूरा कैंपेन केवल नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व और उनकी उपलब्धियों के इर्द-गिर्द घूम सकता है। (रजत शर्मा)
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