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क्या निकल सकता है बाबरी-राम जन्मभूमि विवाद का कोई हल?

नई दिल्ली: बाबरी-राम जन्मभूमि विवाद पर मंगलवार को आई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद यह सवाल एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है कि क्या राम जन्मभूमि विवाद को वाकई कोर्ट के

Sailesh Chandra @chandra_sailesh
Published on: March 22, 2017 8:36 IST
ram janmabhoomi-babri masjid dispute- India TV Hindi
ram janmabhoomi-babri masjid dispute

नई दिल्ली: बाबरी-राम जन्मभूमि विवाद पर मंगलवार को आई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद यह सवाल एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है कि क्या राम जन्मभूमि विवाद को वाकई कोर्ट के बाहर आपसी बातचीत से सुलझाया जा सकता है? वर्षों पुराना विवाद जो आज तक खत्म नहीं हो सका, क्या अब उसके हल के लिए कोई फॉर्म्युला निकाला जा सकता है? अभी तक के अनुभव यह बताते हैं कि समझौते की राह बिल्कुल आसान नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या सभी पक्ष पुराने अनुभवों को भूल कर सुलह के फॉर्म्युले पर बातचीत फिर शुरू कर सकते हैं?

इस मसले को हल करने के लिए 1986 से अब तक 10 कोशिशें नाकाम रही हैं। बाबरी मस्जिद के सबसे बुज़ुर्ग पैरोकार हाशिम अंसारी, हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञान दास के साथ अपने आखिरी वक्त में वहां मंदिर मस्जिद साथ-साथ बनवाने की कोशिश में थे लेकिन दोनों पक्षों ने इस मामले में बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद के रुख की आलोचना करते हुए समझौते की बातचीत से उन्हें दूर रखने की बात कही थी। प्रतिक्रिया में वीएचपी ने भी इस बातचीत पर सवाल खड़े किए थे। ऐसे में समझौते का फॉर्म्युला परवान नहीं चढ़ सका। 2016 में हाशिम अंसारी की मौत के बाद इसे लेकर कोई गंभीर कोशिश भी नहीं की गई।

कब-कब, क्या-क्या हुआ?

1528: मुगल शासक सम्राट बाबर ने अयोध्या में मस्जिद बनवाई थी जिस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था।

1853: पहली बार अयोध्या में सांप्रदायिक दंगे अंग्रेजों के शासनकाल में हुए।

1859: विवादित स्थल पर अंग्रेजों ने बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी।

1949: दोनों पक्षों ने भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाये जाने के बाद अदालत में मुकदमा दायर किया जिसके बाद यहां ताला लगा दिया गया।

1984: राम मंदिर का निर्माण करने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया।

1986: हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट ने विवादित मस्जिद के दरवाजे पर से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया।

1989: राम मंदिर निर्माण के लिए विहिप ने विवादित स्थल के नजदीक राम मंदिर की नींव रखी।

1992: 6 दिसंबर को विहिप, शिव सेना और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप देश भर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे।

2001: बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर अटल सरकार के समय तनाव बढ़ गया और विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने के अपना संकल्प दोहराया।

जनवरी 2002: प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए अयोध्या समिति का गठन किया।

फ़रवरी 2002: 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की विहिप ने घोषणा कर दी। कारसेवक जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर अयोध्या से लौट रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए।

13 मार्च, 2002: अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट के फैसले को माना जाएगा।

मार्च 2003: सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया।

अप्रैल 2003: पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर से मिलते जुलते अवशेष मिले हैं।

मई 2003: 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में सीबीआई ने उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के ख़िलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए।

अगस्त 2003: राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाने के विहिप के अनुरोध को भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री ने ठुकराया।

अप्रैल 2004: अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में आडवाणी ने पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण ज़रूर किया जाएगा।

जनवरी 2005: छह दिसंबर 1992 को आडवाणी को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया।

जुलाई 2005: विवादित परिसर पर 5 हथियारबंद चरमपंथियों ने हमला किया जिसमें 5 चरमपंथियों सहित छह लोग मारे गए, हमलावर बाहरी सुरक्षा घेरे के नज़दीक ही मार डाले गए।

30 जून 2009: लिब्रहान आयोग ने बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी।

24 नवंबर, 2009: संसद के दोनों सदनों में लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पेश जिसमें आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंह राव को क्लीन चिट दी।

सितंबर, 2010: हाईकोर्ट ने रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई पूरी करते हुये विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया।

2011: सुप्रीम कोर्ट नें हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया।

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