नयी दिल्ली: नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू शुक्रवार को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। इससे पहले गुरुवार को उन्होंने संसद में होने वाले गतिरोध पर अपनी असहमति व्यक्त करते हुये कहा कि राज्यसभा के संचालन के लिये नियमों को लागू करेंगे और साथ ही सदस्यों से सहयोग लेंगे। उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने से एक दिन पूर्व नायडू ने कहा कि कानूनों को पारित करवाने के लिये सरकार को संसदीय सहमति की जरूरत होती है जिससे वह उस एजेंडे को लागू कर सके जिसके लिये उसे जनादेश मिला था।
नायडू ने भाषा को बताया, 'संसद के दोनों सदनों की यह जिम्मेदारी होती है कि सांसद उन पर सरकारी विधेयकों पर चर्चा करें। यह विधायिकाओं का कर्तव्य है। हम अगर सदन को चलने नहीं देंगे, तब आप कानून कैसे बनायेंगे इसलिये मैंने पहले कहा था कि सरकार प्रस्ताव करे, विपक्ष उसका विरोध करे लेकिन सदन को चलने दिया जाये।'
उपराष्ट्रपति के तौर पर नायडू राज्यसभा के सभापति होंगे और सरकार को उम्मीद है कि सदन में उनकी मौजूदगी से उसे ज्यादा सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलेगी। सदन में विपक्षी सदस्यों की संख्या साापक्ष से ज्यादा है और अक्सर वे उसके विधेयकों में रूकावट डालते हैं। उन्होंने कहा, 'हमें इतना परिपक्व होना चाहिए कि हम संसद की कार्यवाही को सुचारू और अर्थपूर्ण तरीके से संचालित कर सकें। आसन न सिर्फ सदन का पीठासीन अधिकारी होता है बल्कि सदन का संरक्षक भी होता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री 68 वर्षीय नायडू ने कहा, वह नियमों, प्रक्रियाओं और परंपराओं के तहत मिली जिम्मेदारियों के मुताबिक कार्यवाही के संचालन के लिये कर्तव्यबद्ध होता है। यह आसन पर होता है कि वह नियमों को लागू करें और सदस्यों का सहयोग भी ले। नायडू ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की सांसदों को दी गयी एक सलाह को उद्धृत करते हुये कहा कि उन्हें चर्चा, बहस और फैसला करना चाहिये लेकिन संसद की कार्यवाही बाधित नहीं करनी चाहिये, और कहा कि उन्हें इसका पालन करना चाहिये।