नई दिल्ली. ऐसे समय में जब कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का नापाक प्रोपेगेंडा चरम पर है, पीएम मोदी की पसंद के तौर पर चुने गए IIT ग्रेजुएट पूर्व केंद्रीय मंत्री और तीन बार के सांसद मनोज सिन्हा ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ले ली है। शपथ ग्रहण समारोह के साथ हीं मनोज सिन्हा ने सबको साथ लेकर चलने के दृष्टिकोण की झलक दिखा दी है।
सबके साथ लेकर चलेंगे सिन्हा!
कार्यक्रम में आने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी सभी दलों के नेताओं को न सिर्फ निमंत्रण पत्र भेजा गया बल्कि गुलाम नबी आजाद,कर्ण सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर भी आमंत्रित किया। हालांकि कोरोना के चलते कुछ नेताओं ने समारोह में शामिल होने में असमर्थता जताई, लेकिन इन नेताओं ने मनोज सिन्हा के प्रति अपनी शुभेच्छाएं व्यक्त कीं।विकास सबसे बड़ी प्राथमिकता
मनोज सिन्हा की प्राथमिकता डेवलपमेंट करना और उसमें सबको भागीदारी का अहसास कराना है। IIT पास आउट और तीन बार के लोकसभा सांसद सिन्हा मोदी सरकार 1.0 में टेलीकॉम और रेलवे मंत्रालय में सफलतापूर्वक काम कर चुके हैं। केंद्र सरकार के आला सूत्रों का कहना है कि पीएम को LG के तौर पर ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जिसमें राजनीतिक अनुभव हो, प्रशासकीय क्षमता हो, तकनीकी दिमाग हो, ईमानदारी और समयबद्ध तरीके से काम करने का ट्रैक रिकॉर्ड हो और जो बयानों से विवाद को जन्म ना दे।
पीएम मोदी को थी ऑलराउंडर LG की तलाश
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि इन्हीं खूबियों की वजह से पीएम ने उन्हें LG पद के लिए चुना अन्यथा राज्यसभा की सीट और पार्टी महासचिव का पद उनके लिए तय माना जा रहा था। पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक बयानवीर थे जबकि मुर्मू के पास राजनीतिक कौशल बिल्कुल नहीं था। ऐसे में पीएम की ऑलराउंडर LG की तलाश मनोज सिन्हा पर पूरी हुई।
पीएम मोदी को पसंद है सिन्हा के काम का तरीका
संचार मंत्री के तौर पर भारत नेट, पोस्ट पेमेंट बैंक आदि कई प्रोजेक्ट्स को सिन्हा ने जिस तरह से पूरा किया था, उससे पीएम खुश थे। पीएम ने इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के लांचिंग पर टेक्नोक्रेट सिन्हा के तकनीकी ब्रेन की खूब तारीफ की थी। व्यक्तित्व में दृढ़ता और उदारता का जबरदस्त संतुलन रखने वाले सिन्हा ने अपने संसदीय क्षेत्र गाजीपुर में विकास का ऐसा मॉडल रखा, जिसकी तारीफ विरोधी भी करते हैं।
विकास के मुद्दे पर लड़ा था गाजीपुर चुनाव
लोकसभा चुनाव 2019 में जातिगत और धार्मिक समीकरणों में उलझे गाजीपुर में सिन्हा ने सिर्फ विकास कार्यों का रिपोर्ट कार्ड रखा। पार्टी के कुछ आक्रामक बयानवीर नेताओं ने जब सिन्हा के सामने गाजीपुर आकर हार्डकोर विचारधारा की आक्रामक लाइन पर अभियान चलाने में सहयोग की बात कही तो सिन्हा ने दो टूक शब्दों में इंकार करते हुए कहा- जीत होगी तो विकास पर, वर्ना हार सही।
धरातल पर 'विकास' उतारने की चुनौती
मनोज सिन्हा के सामने विकास के ऐसे ही मॉडल को जम्मू कश्मीर के धरातल पर उतारने की चुनौती है। शपथ के साथ हीं सिन्हा का रोडमैप तैयार है- विकास के नए मॉडल को समयबद्ध तरीके से पूरा करना। हर सप्ताह कम से कम एक जिले का दौरा कर वो ये सुनिश्चित करेंगे कि विकास का पैमाना फाइलों और आंकड़ों से बाहर निकलकर जम्मू-कश्मीर के हर एक जिले में नजर आए।
जल्द ही करेंगे सरपंचों से संवाद
जल्द हीं वो सभी सरपंचों से संवाद करनेवाले हैं। जम्मू कश्मीर की आम जनता के लिए उनका स्पष्ट संदेश है- विकास सिर्फ सुनो नहीं बल्कि देखो, समझो, अनुभव करते हुए भागीदार बनो और आनंद उठाओ। विज्ञान के मंदिर समझे जानेवाले IIT की ट्रेनिंग ऐसे ही मंत्रों पर तो होती है जो सिन्हा के "मिशन कश्मीर" में काम आएगी।