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नेता वोट मांगने जनता के बीच जा सकते हैं तो प्रदर्शन के लिये लोग उनके दफ्तरों के पास क्यों नहीं आ सकते : कोर्ट

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र ने मध्य दिल्ली में प्रदर्शन या लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है और यातायात बाधा को रोकने की आड़ में स्थायी तौर पर सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी है। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 03, 2018 23:38 IST
सुप्रीम कोर्ट।- India TV Hindi
Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट।

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि अगर नेता वोट मांगने के लिये जनता से संपर्क कर सकते हैं तो चुनाव के बाद प्रदर्शन करने के लिये लोग क्यों नहीं उनके कार्यालय के निकट आ सकते हैं। शीर्ष अदालत की टिप्पणी मध्य दिल्ली में प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के लिये स्थायी तौर पर निषेधाज्ञा लगाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान आई। न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि लोगों के प्रदर्शन के अधिकार को मान्यता देने वाले उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के कई फैसले हैं।

​ पीठ ने कहा, ‘‘जब चुनाव के दौरान नेता वोट मांगने के लिये जनता के बीच जा सकते हैं तो चुनाव बाद प्रदर्शन करने के लिये लोग उनके दफ्तरों के पास क्यों नहीं आ सकते। ’’ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र ने मध्य दिल्ली में प्रदर्शन या लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है और यातायात बाधा को रोकने की आड़ में स्थायी तौर पर सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी है। भूषण ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों से रामलीला मैदान जाने को कहा है जबकि लोगों के प्रदर्शन के अधिकार को मान्यता देने वाले कई फैसले हैं।

​ उन्होंने कहा , ‘‘ प्रदर्शन सत्ता के केंद्र के पास होना चाहिये ताकि लोगों की आवाज सुनी जा सके। ’’ उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय का एक फैसला है जो फैक्टरी के गेट के पास लोगों के प्रदर्शन के अधिकार को मान्यता देता है , बशर्ते इससे यातायात प्रभावित नहीं हो। भूषण ने कहा कि दिल्ली पुलिस के पास यातायात बाधाओं से निपटने की पूरी शक्ति है , लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोगों के प्रदर्शन के अधिकार में कटौती की जाए। सुनवाई अधूरी रही और अब नौ मई को आगे की सुनवाई होगी। 

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