दशकों के अपने पत्रकारिता और ऐंकरिंग के करियर में एक सवाल है जो कई लोग मुझसे पूछते रहते हैं। ‘रजत जी, आपका पसंदीदा ऐंकर कौन है?’ हालांकि अधिकांश प्रोफेशनल्स खुद के ही पुराने वर्जन से खुद की तुलना करते हैं और उसमें सुधार करते हैं, ईमानदारी से कहूं तो सभी अपने पेशे में किसी न किसी अन्य शख्स को पसंद करता है। हालांकि, जब आपके पेशे के बाहर का कोई व्यक्ति एंकर की भूमिका में अच्छा काम करता है तो लोग उसे नोटिस करने लगते हैं। मेरे पसंदीदा एंकरों की छोटी-सी लिस्ट में, नॉन जर्नलिस्ट एंट्री के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम शामिल है।
एक सार्थक बातचीत को संचालित और मॉडरेट करने का उनके उत्कृष्ट कौशल का नवीनतम उदाहरण फिट इंडिया डायलॉग 2020 में देखने को मिला था। एक योगी जो योग के वैश्विक ब्रांड एंबेसडर बन गए थे, वे इस इस वार्ता के उपयुक्त मॉडरेटर थे। और एक कर्मयोगी जिन्होंने कभी एक दिन की छुट्टी नहीं ली, वह फिटनेस के भी बड़े प्रतीक हैं। हालांकि, बातचीत में जो महत्वपूर्ण चीज सामने आई थी वह कुछ और ही थी।
एक युवा महिला कश्मीरी फ़ुटबॉलर से लेकर क्रिकेट सुपरस्टार तक, एक न्यूट्रिशनिस्ट से लेकर योग गुरु तक, मोदी ने सभी से सहजता से बात की और विषयों पर बड़े आराम से अपनी बात रखी। जिस सहजता से वह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से जुड़ते हैं, वह चीज जो मैंने बहुत पहले देखी थी, वह सबने देखी।
मोदी की गर्मजोशी भी लोगों को उनके साथ आसानी से जुड़ने में मदद करती है। यह झिझक को तोड़ती है और लोगों को उस ज़ोन में ले जाती है जहां वो इस तथ्य को भूल जाते हैं कि वे एक बड़े नेता से बात कर रहे हैं, और वे आसानी से खुलकर बातें करने लगते हैं। उदाहरण के लिए, उसी ‘फिट इंडिया’ इंटरैक्शन में, उन्होंने अपनी उम्र को लेकर मिलिंद सोमन के साथ मजाक किया, फुटबॉलर के लिए ‘Ace It Like Afshan’ फ्रेज बनाया और विराट कोहली से यो-यो टेस्ट के बारे में पूछा।
‘मन की बात’ जब शुरू हुआ था तो कुछ लोगों ने सोचा था कि यह रेडियो पर एक मासिक भाषण होगा। लेकिन मोदी ने इसे एक वार्तालाप बना दिया जहां वह एंकर के रूप में, आम लोगों की सफलताओं और कहानियों को सबके सामने लेकर आते हैं। जब भी वह लोगों से बात कर रहे होते हैं, तब वह एक शांत और जानकार एंकर की तरह बर्ताव करते हैं। उनकी बातचीत हमेशा दिलचस्प रहती है। एक आकर्षक बातचीत तभी संभव है जब लोग एक-दूसरे से खुले दिमाग से कुछ सीखना चाह रहे हों। यह सोच पाना कि वे दूसरे लोगों से कुछ सीख सकते हैं, लोगों को अच्छा श्रोता बनाता है। मोदी के उत्कृष्ट वार्तालाप कौशल के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि वे खुद को एक निरंतर सीखने वाले के रूप में देखते हैं। वह प्रधानमंत्री हो सकते हैं, लेकिन वह अभी भी यही सोचते हैं कि वह सभी लोगों, चाहे वे जवान हों या बुजुर्ग, से कुछ सीख सकते हैं।
एक अच्छे एंकर को विभिन्न डोमेन के लोगों के साथ बातचीत करने के लिए विभिन्न विषयों के बारे में पर्याप्त रूप से जानकार होना चाहिए। निरंतर सीखने की यह क्षमता न केवल मोदी को लोगों के साथ बेहतर ढंग से बात करने में मदद की, बल्कि उन्हें अलग तरीके से मदद भी की। वह कई विषयों के बारे में काफी कुछ जानते हैं। उन्होंने कई बार कहा है कि पार्टी में राष्ट्रीय पदों पर आसीन होने से पहले उन्होंने भारत के अधिकांश जिलों में कुछ समय बिताया है। लोगों के बीच होने से उन्हें भारत के विविध लोगों और संस्कृतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिली है, जो किसी को किताब या अखबार से नहीं मिल सकती है; यह व्यावहारिक ज्ञान है। मीडिया की भाषा में बात करें तो यह एक ऐसा ज्ञान है जो रिपोर्टिंग का अनुभव रखने वाले ऐंकर और स्टूडियो में ही काम का अनुभव रखने वाले ऐंकर को अलग करता है। स्टूडियो में काम करने वाले ऐंकर को बाहर के हालात के बारे में अनुभव नहीं होता है।
नीति आयोग द्वारा हाल ही में आयोजित बातचीत में मोदी स्किल मैपिंग और रोजगार से संबंधित मुद्दों पर कुछ नौकरशाहों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों से बात कर रहे थे। मैं उन सटीक सवालों से प्रभावित हुआ जो उन्होंने लोगों को स्किल, रोजगार, श्रमिक समूहों में सामाजिक अवसंरचना से जोड़ने, कंपनियों की कर्मचारियों की देखभाल के आधार पर रेटिंग और आगामी औद्योगिक समूहों में कर्मचारियों की आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाने को लेकर किए। उन्होंने अपने विशिष्ट प्रश्नों और तर्कों से बातचीत के स्तर को ऊंचा कर दिया, यहां तक कि पैनलिस्ट भी यह कहने से खुद को रोक नहीं सके कि इसने उन्हें गहराई से सोचने के लिए प्रेरित किया।
इसी प्रकार का ट्रेडं कोरोना वायरस महामारी के दौरान मीडिया, डॉक्टरों, और समाज के अन्य विभिन्न वर्गों के साथ हुए संवादों के दौरान भी देखी गई थी। उन्होंने बारीकियों के साथ बात की, सभी की जिज्ञासाओं को शांत किया और सभी को याद दिलाया कि वे जो भी काम कर रहे थे, क्यों कर रहे थे।
भारतीय आम तौर पर बातचीत के प्रति काफी उत्साही होते हैं। यही कारण है कि मोदी की बातचीत, ‘फिट इंडिया डायलॉग’ हो या मन की बात हो या इस तरह की अन्य बातचीत, लोग उत्साहपूर्वक इसमें भाग लेते हैं। हालांकि, उन सभी में ‘एक्स फैक्टर’ मोदी हैं। सबसे मुखर वाचक जन संचार में माहिर होता है जो अक्सर यूनिडायरेक्शनल होता है। हालांकि, इस मामले में मोदी बिल्कुल जुदा हैं और वह मास कम्युनिकेटर के साथ-साथ बहुत अच्छे मॉडरेटर भी हैं।
वास्तव में, आजकल स्टूडियो में ‘आक्रामकता’ को देखते हुए, कुछ एंकर मोदी से एक या दो चीजें सीख सकते हैं कि शोध, तैयारी और मानसिक संतुलन से ज्ञानवर्धक वार्तालाप किया जा सकता है।