नई दिल्ली. पहाड़ी इलाकों में बारिश अपना कहर बरपा रही है। उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश तक नदियां उफान पर हैं, पहाड़ खिसक रहे हैं, बड़ी-बड़ी चट्टानें टूटकर गिर रही हैं। रास्ते बंद हो चुके हैं। लेकिन पहाड़ों पर कुदरती मार क्यों पड़ रही है, पहाड़ों पर हर साल लैंडस्लाइड से होने वाली तबाही की ऐसी तस्वीरें क्यों सामने आती हैं। दरअसल इसके पीछे तीन बड़े कारण हैं।
- पिछले कुछ सालों में पहाड़ों पर रोड कंस्ट्रक्शन के काम में बढ़ोतरी हुई है, जिससे मिट्टी का कटान बढ़ा है।
- पेड़ कवर बिल्कुल खत्म हो चुका है, जिससे मिट्टी पर चट्टानों की पकड़ ढीली हुई है। ऐसे में जब भी बारिश होती है, मिट्टी खिसकती है और लैंडस्लाइड हो जाती है।
- पहाड़ों पर बांध ना के बराबर बने हैं, जिससे पानी को कंट्रोल करना मुश्किल हुआ है। बरसात के मौसम में नदियां अपना रास्ता बदल लेती हैं और लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ जाता है।
दिल्ली में क्यों है स्थिति खराब?
पहाड़ों पर तो भूस्खलन होता है, लेकिन देश की राजधानी में सिर्फ अनियमितता और लापरवाही की वजह से सिस्टम पूरी तरह से चरमरा चुका है। राजधानी दिल्ली में कुछ घंटों की बारिश से जगह-जगह जलजमाव हो जाता है। गुरुवार को बारिश ने दिल्ली के ड्रैनेज सिस्टम की पोल खोलकर रख दी, फिर दिल्ली में अंडरपास डूब गए, सड़कें तालाब बन गईं, चारों तरफ बरसाती नदियां नजर आने लगीं।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के अनुसार, मुखर्जी नगर, फतेहपुरी, बुराड़ी, रोहिणी, नरेला और पश्चिम पटेल नगर सहित उत्तरी दिल्ली के 40 से अधिक स्थानों पर जलजमाव हो गया है। एनडीएमसी द्वारा साझा की गई मानसून रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कुल 41 स्थानों पर जलजमाव हुआ है। इसके अलावा शहर में आठ स्थानों पर इमारतों के हिस्से गिरने और सात स्थानों पर पेड़ गिरने की खबर मिली है।
दक्षिणी दिल्ली में, ओखला और मालवीय नगर के कुछ हिस्सों में रात भर हुई बारिश के बाद जलजमाव देखा गया। पूर्वी दिल्ली में, लक्ष्मी नगर और कई अन्य क्षेत्रों में पानी जमा होने की सूचना मिली। दिल्ली में बृहस्पतिवार को इस मौसम की अब तक की सबसे जोरदार बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने कहा कि शहर के अधिकांश हिस्सों में बारिश हुई।