नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध के बीच भारत और चीन ने शुक्रवार को अपने ‘मतभेदों’ को विवाद में नहीं बदलने देने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके साथ ही दोनों देशों ने एक-दूसरे की संवेदनशीलता, चिंता एवं आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए उन्हें वार्ता के माध्यम से दूर करने पर सहमत हुए। बता दें कि महीने भर से सीमा पर चल रहे तनाव को दूर करने के एक बड़े प्रयास के तहत भारत और चीन की सेनाओं के बीच लेफ्टनेंट जनरल स्तर तक की बातचीत भी हो रही है। आइए, जानते हैं क्यों आमने-सामने आ गई हैं दोनों देशों की सेनाएं:
लद्दाख में चीनियों ने की घुसपैठ
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में जबर्दस्त तनाव देखने को मिल रहा है क्योंकि ड्रैगन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है। साथ ही चीनी सैनिक बख्तरबंद गाड़ियां लेकर घुस आए हैं और उन इलाकों में अपने टेंट गाड़ दिए हैं जो दशकों से भारत के नियंत्रण में हैं। इस बीच भारत ने पहले ही यह साफ कर दिया कि उसके सैनिक अपनी जगह से तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक कि PLA के जवान अपनी पुरानी पोजिशन पर वापस नहीं चले जाते और LAC पर सेनाओं की गश्त पुरानी अवस्था में नहीं आ जाती।
5 मई को हुआ था पहला आमना-सामना
आपको बता दें कि चीन की भारत के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है जो 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश से जुड़ती है। चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी और पैंगोंग झील के इलाके में घुसपैठ की है जिसके चलते ताजा विवाद पैदा हुआ है। 5 मई को पहली बार इन दोनों जगहों पर भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने आए थे। भारत पैंगोंग झील के पास एक सड़क और एक छोटे से पुल का निर्माण कर रहा था जिसपर चीनियों ने आपत्ति जताई। सिर्फ इतना ही नहीं, वे इलाके में बाड़ लगाने के लिए पत्थर-डंडे और कंटीले तार लेकर आ गए। इसके बाद दोनों ही पक्षों में टकराव शुरू हो गया।
चीन ने अपने सैनिकों को किया तैनात
वहीं दूसरी तरफ चीन की सेना ने अक्साई चिन से गुजरने वाली गलवान नदी के पास अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी। यहां लगभग 4,000 चीनी सैनिक टेंट और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ घुस आए। बता दें कि गलवान घाटी श्योक और गलवान नदियों के बीच एक ऐसी जगह पर पड़ती है जहां ये दोनों नदियां मिलती हैं। भारत पहले ही श्योक नदी पर एक पुल बना चुका है और इसने लेह से इस इलाके को जोड़ने के लिए 255 किमी लंबी सड़क भी बनाई है। इसकी वजह से पहले जहां हमारे सैनिक यहां 23 घंटे में पहुंचते थे, वहीं अब सिर्फ 12 घंटे लगते हैं। चीन को भारत की यही मजबूत होती स्थिति ही खटक रही है।
दोनों इलाकों पर अपना दावा करता है चीन
बता दें कि चीन इन दोनों इलाकों पर लगातार अपना दावा करता रहा है और भारत पर अवैध निर्माण का आरोप लगाता है। भारत इस इलाके में अपना मिलिटरी इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करता जा रहा है और यही बात चीन को खटक रही है। गलवान नदी का सामरिक महत्व है क्योंकि यह काराकोरम पर्वतमाला से लेकर अक्साई चिन के मैदानों तक बहती है। चीन ने 50 के दशक के दौरान इस इलाके पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया था। उस समय तक चीन नदी के पूर्वी हिस्से पर अपना दावा करता था, लेकिन 60 का दशक आते-आते वह पश्चिमी हिस्से पर भी अपना हक जताने लगा।