नई दिल्ली: देश के 12 प्रतिशत इलाके भूकंप की दृष्टि से अत्यंत गंभीर आशंका वाले श्रेणी 5 में आते हैं जबकि 18 प्रतिशत क्षेत्र गंभीर आशंका वाले श्रेणी 4 में हैं। उन्हीं में से एक है देश की राजधानी दिल्ली जो भूकंपीय क्षेत्रों के जोन 4 में स्थित है। जोन-4 में होने की वजह से दिल्ली भूकंप का एक भी भारी झटका बर्दाश्त नहीं कर सकती। दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। दिल्ली हिमालय के निकट है जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था। धरती के भीतर की इन प्लेटों में होने वाली हलचल की वजह से दिल्ली कानपुर और लखनऊ जैसे इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है।
दिल्ली के पास सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद तीन फॉल्ट लाइन मौजूद हैं जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। दिल्ली रिज क्षेत्रकम खतरे वाला क्षेत्र है वहीं मध्यम खतरे वाले क्षेत्र हैं दक्षिण पश्चिम उत्तर पश्चिम और पश्चिमी इलाका सबसे ज्यादा खतरे वाले क्षेत्र हैं उत्तर पूर्वी क्षेत्र।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र को यूरोप के आल्पस पवर्तीय क्षेत्र की तुलना में अधिक भूस्खलन का सामना करना पड़ता है क्योंकि हिमालय तुलनात्मक दृष्टि से अपरिपक्व, युवा तथा भू परिस्थितिकी एवं जलवायु की दृष्टि से संवेदनशील प्रकृति का पर्वत है।
भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई) भूस्खलन का अध्ययन करने वाली शीर्ष संस्था है और यह भूस्खलन के संबंध में आपदा से पूर्व और इसके बाद दोनों तरह का अध्ययन करती है। आपदा से पूर्व अध्ययन के तहत जीएसआई भूस्खलन की आशंका का नक्शा तैयार करता है ताकि उन क्षेत्रों की पहचान की जा सके जहां ढ़लान टूटने की आशंका हो।
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