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…तो इस डर की वजह से जैश आतंकी मसूद अजहर के साथ खड़ा रहता है चीन

चीन भले ही खुद को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनाने की तरफ आगे बढ़ रहा हो, भले ही चीन अपनी आर्थिक ताकत का डंका पीटने में लगा हो लेकिन सच ये है कि उसकी ये ताकत दुनिया के आतंकियों की मोहताज बन गई है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 14, 2019 7:20 IST
…तो इस डर की वजह से जैश आतंकी मसूद अजहर के साथ खड़ा रहता है चीन
…तो इस डर की वजह से जैश आतंकी मसूद अजहर के साथ खड़ा रहता है चीन

नई दिल्ली: इस बार पूरी दुनिया ठान चुकी थी की जैश के सरगना मसदू अज़हर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया जाएगा। आतंक के इस सरगना पर रोक लगाई जाएगी लेकिन पाकिस्तान परस्त चीन एक बार फिर अड़ गया। उसने मसूद अज़हर को आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया। दरअसल ये चीन का डर है जो उसे बार बार आतंकियों के सामने झुकने पर मजबूर कर रहा है।

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चीन भले ही खुद को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनाने की तरफ आगे बढ़ रहा हो, भले ही चीन अपनी आर्थिक ताकत का डंका पीटने में लगा हो लेकिन सच ये है कि उसकी ये ताकत दुनिया के आतंकियों की मोहताज बन गई है। बीजिंग में दरबार सजाए बैठे चीन के कम्युनिस्ट नेता एक आतंकी के सामने बौने नज़र आते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी फौज के चीफ शी जिनपिंग को पुलवाम की तस्वीरें नहीं दिखतीं। वीटो पावर के दम पर चीन गुंडागर्दी पर उतर आया है।

मसूद अज़हर को बचाना चीन की ताकत नहीं बल्कि उसकी कमज़ोरी है। जानकारों के मुताबिक CPEC कॉरिडोर को चीन आतंकी हमलों से बचाना चाहता है। मसूद अज़हर की चीन के इस्लामिक संगठनों पर गहरी पैठ है और उसके खिलाफ जाने से चीन को आतंकियों का गुस्सा झेलना पड़ेगा। आतंकी चीन के CPEC और OBOR को निशाना बना सकते हैं।

इतना ही नहीं चीन ये मंसूबा पाले बैठा है कि वो पूरे पाकिस्तान का इस्तेमाल अपने व्यापारिक कामकाज के लिए करेगा। उसके लिये न पाकिस्तान ज़रूरी है और न ही मसूद अज़हर। चीन की नज़र ग्वादर पोर्ट पर है। जानकारों के मुताबिक साल 2022 तक चीन ग्वादर पोर्ट और वहां तक पहुंचने वाले रास्ते को पूरी तरह से अपने कब्ज़े में ले लेगा।

दुनिया का कम्युनिस्ट तानाशाह देश चीन ये कभी नहीं चाहता कि भारत उसकी बराबरी में खड़ा हो। भारत ने साफ साफ चीन के OBOR प्रोजेक्ट का विरोध किया है। इसी का गुस्सा चीन मसूद अज़हर को हथियार बनाकर निकाल रहा है। 

दरअसल एशिया में भारत से मुकाबले और OBOR प्रॉजेक्ट में चीन को पाक की जरूरत है। मुस्लिम देशों और गुटनिरपेक्ष देशों के संगठन में पाकिस्तान हमेशा चीन का साथ देता है। चीन को भारत-अमेरिका की दोस्ती बर्दाश्त नहीं है इसलिये वो मसूद जैसे मुद्दे में भारत को उलझाना चाहता है। मसूद पर बैन लगते ही पाकिस्तान की पोल तो खुलेगी ही, चीन भी इसके ताप से बच नहीं पाएगा। 

सयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का बैन लगते ही पाकिस्तान को मसूद अज़हर के सभी फंड, संपत्ति और आय के स्रोत फ्रीज़ करने पड़ते और उसके किसी देश में आने जाने पर रोक लग जाती। कोई भी देश मसूद अज़हर या उससे जुड़े संगठनों को हथियार सप्लाई नहीं कर सकता। चीन अरबों रुपया पाकिस्तान में झोंक चुका है, उसे ये पता है कि इमरान खान और उस जैसी दूसरी सरकारें पाकिस्तान में सिर्फ कठपुतली हैं। वो ये भी जानता है कि टेररिस्तान में सरकार किसी की भी हो राज सिर्फ आतंकियों का ही चलता है इसलिए वो मसूद अज़हर को बचाने में लगा है।

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