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जानिए बुराड़ी का निरंकारी मैदान प्रदर्शनकारी किसानों को क्यों नहीं कर रहा आकर्षित?

किसान अपनी मांगों को लेकर मध्य दिल्ली के रामलीला मैदान या जंतर-मंतर पर रैली करने पर अड़े हैं। आखिर किसान अपना विरोध प्रदर्शन बुराड़ी मैदान में जाकर करने को लेकर अनिच्छुक क्यों हैं?

Reported by: IANS
Published on: November 29, 2020 17:39 IST
Why Burari ground fails to attract protesters?- India TV Hindi
Image Source : PTI Why Burari ground fails to attract protesters?

नई दिल्ली। हजारों किसान दिल्ली के तीन अंतर्राज्यीय सीमा बिंदुओं पर रैली करना जारी रखे हुए हैं, उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के बुराड़ी मैदान में जाकर करने के लिए सरकार की तरफ से मिले प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, किसान अभी बुराड़ी के निरंकारी मैदान में ही रखे गए हैं, जहां उनका विरोध-प्रदर्शन जारी है। किसान अपनी मांगों को लेकर मध्य दिल्ली के रामलीला मैदान या जंतर-मंतर पर रैली करने पर अड़े हैं। आखिर किसान अपना विरोध प्रदर्शन बुराड़ी मैदान में जाकर करने को लेकर अनिच्छुक क्यों हैं?

बुराड़ी मैदान को निरंकारी मैदान के रूप में भी जाना जाता है। यह मध्य दिल्ली से काफी दूर, बाहरी इलाका माना जाता है। यही वजह है कि बुराड़ी मैदान विरोध स्थल के रूप में किसी भी संगठन को कभी पसंद नहीं आया। संगठनों को लगता है कि अगर उन्हें अपनी आवाज सत्ता के प्रभावशाली लोगों तक पहुंचानी है तो जंतर मंतर या रामलीला मैदान बेहतर विकल्प हैं। जंतर-मंतर शहर के बीचोबीच स्थित है और संसद से केवल 2 किलोमीटर दूर है और सबकी नजर पर चढ़ने वाला विरोध स्थल है। हालांकि यहां इतनी जगह नहीं है कि बहुत भारी भीड़ को संभाल ले। दूसरी ओर, मध्य दिल्ली में स्थित रामलीला मैदान बहुत बड़ी भीड़ को संभाल सकता है। दोनों की तुलना में, बुराड़ी मैदान दिल्ली के सबसे बाहरी किनारे पर स्थित है और इसलिए प्रदर्शनकारियों के पसंदीदा जगहों में शुमार नहीं हो पाया है।

साल 2011 में दिल्ली पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के प्रस्तावित अनशन के लिए दिल्ली के बाहरी इलाके में स्थित बुराड़ी मैदान की पेशकश की थी, जिसे नहीं माना गया। अन्ना को आखिरकार रामलीला मैदान में आंदोलन करने की अनुमति दे दी गई, जहां उन्होंने जन लोकपाल कानून के लिए 13 दिनों तक अनशन किया और उनके हजारों समर्थकों ने धरना दिया। लोगों की बड़ी भीड़ देखी गई। रामलीला मैदान जून, 2011 में योगगुरु स्वामी रामदेव की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का भी स्थल रहा है, जिसे उन्होंने विदेशों से काला धन लाने की मांग पूरी कराने के लिए किया था।

रामलीला मैदान में कई प्रमुख राजनीतिक रैलियां और शपथ ग्रहण समारोह भी आयोजित किए गए हैं और यह उन लोगों के लिए पसंदीदा स्थान बना हुआ है जो बड़ी भीड़ इकट्ठा करना चाहते हैं। दूसरी ओर, जंतर मंतर को उन लोगों द्वारा पसंद किया गया है, जिन्होंने निर्भया के लिए न्याय की मांग की, पूर्व सैनिकों के लिए 'वन रैंक वन पेंशन' योजना की मांग की, और हाल ही में हाथरस मामले के पीड़िता के लिए न्याय की लड़ाई भी लड़ी।

इसलिए, प्रदर्शनकारी किसान बुराड़ी मैदान में जाने से हिचक रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि वे सुर्खियों में नहीं होंगे। कई लोग सोचते हैं कि अगर जंतर-मंतर या रामलीला मैदान में विरोध किया जाए तो उनकी मांगों को बेहतर तरीके से सुना जा सकेगा। यही कारण है कि शनिवार को केवल कुछ सौ किसान ही बुराड़ी मैदान में गए, जबकि हजारों अन्य ने दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-यूपी सीमाओं पर डटे रहने का फैसला किया।

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