पटना/नई दिल्ली: रघुवंश प्रसाद सिंह का जन्म 6 जून 1946 को वैशाली के शाहपुर में हुआ। उन्हें बिहार यूनिवर्सिटी से गणित में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त है। शुरुआती दिनों में रघुवंश प्रसाद ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी नारायण) के नेतृत्व में कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। फिर वह पहली बार 1973 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सचिव बने। इसके बाद वह 1977 से 1990 तक सीतामढ़ी से बिहार विधानसभा के सदस्य रहे।
वह 1977 से 1979 के दौरान बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। इसके बाद वह 1980-1985 तक लोकदल का अध्यक्ष रहे। 1985 से 1990 के दौरान वह लोक लेखांकन समिति के अध्यक्ष पद पर रहे। फिर, 1990 में वह बिहार विधानसभा के सहायक स्पीकर बनाए गए। 1991 में पहली बार MLC बने गए। वह 1995-1996 तक बिहार सरकार में फिर मंत्री पद पर रहे। इसके बाद वह पहली बार 1996 में लोकसभा पहुंचे।
1996 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होने के बाद उन्हें बिहार राज्य के लिए केंद्रीय पशुपालन और डेयरी उद्योग राज्यमंत्री बनाया गया। वह 1997 में राजद के गठन के बाद उससे जुड़ गए थे। वह लोकसभा के लिए दूसरी बार 1998 में चुने गए और फिर तीसरी बार 1999 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इस कार्यकाल में उन्हें गृह मामलों की समिति का सदस्य बनाया गया।
फिर, चौथी बार 2004 में वह लोकसभा के लिए चुने गए। अब 23 मई 2004 से 2009 तक वह केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पांचवी बार जीत दर्ज की। वह RJD के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक थे। लेकिन, 13 सितंबर को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में उनका निधन हो गया।
रघुवंश प्रसाद सिंह ने निधन से दो दिन पहले ही RJD सुप्रीमो लालू यादव को पत्र लिखकर पार्टी से त्यागपत्र दे दिया था। पत्र में उन्होंने लिखा था कि लंबे समय से वह लालू यादव के पीछे खड़े रहे लेकिन अब नहीं हैं। रघुवंश प्रसाद सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का धन्यवाद भी किया था।
उन्होंने पत्र में लालू प्रसाद को संबोधित करते हुए लिखा था, "कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षो तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं।" रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस पत्र को पत्रकारों को भेजा था। उन्होंने पत्र में लोगों से माफी मांगते हुए आगे लिखाथा, "पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आमजन ने बड़ा स्नेह दिया। क्षमा करें।"
हालांकि, रघुवंश प्रसाद सिंह के पत्र के जवाब में लालू यादव ने कहा था कि आप कहीं नहीं जा रहे हैं और एक बार ठीक हो जाइए उसके बाद मिलकर बात करेंगे।