नई दिल्ली: आनंदपाल सिंह राजस्थान में दहशत का दूसरा नाम बन चुका था। बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर खून की होली खेलना आनंदपाल का शौक था। खतरनाक हथियारों पर आनंदपाल प्रदेश के अपराध जगत का बेताज बादशाह बनने की कोशिश कर रहा था। आनंदपाल के गांव के दबंग उसको राजपूत नहीं मानते थे, क्योंकि वो दारोगा यानी रावणा राजपूत था। इस जाति के लोगों को आज भी निचले तबके का माना जाता है। यही कारण था कि जब आनंदपाल की बरात घोड़ी पर निकलने के लिए तैयार हुई तो काफी बवाल हुआ। ये भी पढ़ें: भारत और चीन में बढ़ी तल्खियां, जानिए किसके पास है कितनी ताकत
आनंदपाल ने तब अपने दोस्त और उभरते छात्र नेता जीवणराम गोदारा को अपने गांव बुलाया। गोदारा दलबल के साथ आनंदपाल के गांव पहुंचे और तब जाकर आनंदपाल की बरात घोड़ी पर निकली। शादी के बाद आनंदपाल ने बीएड किया और सीमेंट का काम करने लगा। इस दौरान वह राजनीति में भी उतरा।
बता दें कि आनंदपाल सिंह गत 24 जून को कथित पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। आनंदपाल सिंह का अन्तिम संस्कार कब होगा इसको लेकर असमंजस बना हुआ है। गौरतलब है कि करीब डेढ साल की फरारी के बाद पुलिस मुठभेड़ में मारे गये कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह के परिजन मुठभेड़ पर सवाल उठा रहे हैं।
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