नई दिल्ली: लोगों के बीच फैल रहे एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी गलती मानते हुए यू-टर्न लिया और कोरोना वायरस संक्रमण को सीजनल वायरस बताया है। मैसेज में दावा किया जा रहा है कि 'WHO ने कहा है कि यह मौसम बदलाव के दौरान होने वाला खांसी, जुखाम, गला दर्द है, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। न ही मरीज को अलग रहने की जरूरत हैं और न ही जनता को सोशल डिस्टेंसिंग करने की जरूरत है।'
इस वायरल मैसेज में इसे दूसरे लोगों को भेजने की अपील भी की जा रही है। लेकिन, क्या यह दावा सही है। इसी सवाल की खोज के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक विंग ने इस दावे की पड़ताल की। इस वायरल मैसेज की पड़ताल करनी इसलिए भी जरूरी थी क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा भ्रामक दावे किए जा रहे हैं, जो कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ देश की जंग को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
गौरतलब है कि PIB की फैक्ट चेक विंग सरकार या उसकी योजनाओं से जुड़ी संदेहपूर्ण खबरों का फैक्ट चेक करती है। PIB की यह विंग सरकार, सरकारी योजनाओं, राष्ट्र और लोगों के हितों से जुड़े तथ्यों, जानकारियों, दावों और अफवाहों की पड़ताल करती है। ऐसे में PIB की फैक्ट चेक विंग ने इस वायरल दावे को भी जांच की और पाया कि WHO ने ऐसी कोई बात नहीं कही है, जो इस वायरल मैसेज में लिखी है।
PIB की फैक्ट चेक विंग ने अपने ट्विटर हैंडल @PIBFactCheck से ट्वीट किया, "@WHO द्वारा कथित रूप सेकोरोना के सीजनल वायरस होने का दावा किया जा रहा है, जिसमें शारीरिक दूरी और आइसोलेशन की जरूरत नहीं है। #PIBFactCheck: यह दावा फर्जी है। COVID-19 एक संक्रामक रोग है और इसमें कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाना आवश्यक है। मास्क पहनें, हाथ धोएं, शारीरिक दूरी बनाएं।
गौरतलब है कि अगर आपको भी केंद्र सरकार की नीति/योजना से जुड़ी किसी खबर या दावे में कोई संदेह है तो आप भी PIB की फैक्ट चेक विंग से संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए आप उन्हें @PBIFactCheck पर ट्वीट, 8799711259 पर व्हाट्सएप और pibfactcheck@gmail.com पर मेल कर सकते हैं।