नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मध्यस्थता के जरिए इस मसले को सुलझाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए एक तीन सदस्यीय पैनल का भी गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस फकीर मोहम्मद कलीफुल्ला इस पैनल के चेयरमैन होंगे। पैनल के अन्य मध्यस्थों में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं। जैसे ही कोर्ट का यह आदेश आया, लोगों में श्रीराम पंचू के नाम को लेकर उत्सुकता देखी गई।
प्रोफेशनल मध्यस्थ हैं पंचू
आपको बता दें कि श्रीराम पंचू इससे पहले भी कई मामलों में मध्यस्थ की भूमिका निभा चुके हैं। वह एक प्रोफेशनल मध्यस्थ हैं और उन्होंने कई बड़े मामलों को सुलझाने में अहम योगदान दिया है। पंचू एक ‘मिडिएटर चैंबर’ के संस्थापक हैं, जोकि मध्यस्थता की ही सेवा देता है। वकालत के पेशे में उनका कुल अनुभव 40 साल का है और पिछले 20 सालों से वह एक ‘ऐक्टिव मिडिएटर’ हैं।
मीडिएशन सेंटर के हैं संस्थापक
वह IMI (इंटरनेशनल मीडिएशन इंस्टीट्यूट) के बोर्ड डायरेक्टर और इंडियन मिडिएटर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर हैं। पंचू ने 2005 में देश के पहले कोर्ट-अनेक्स्ड मिडिएशन सेंटर की स्थापना की है। वह जजों और वकीलों के साथ मिलकर मध्यस्थता को भारत के लीगल सिस्टम का हिस्सा बनाने के लिए काम करते रहे हैं।
कई अहम मामलों को सुलझाया
पंचू ने अपने लंबे करियर में कई अहम मामलों को सुलझाने में मदद की है। वह कॉमर्शल से लेकर कॉर्पोरेट और कॉन्ट्रेक्चुअल विवादों से जुड़े देश के कई जटिल केसों में मध्यस्थता कर चुके हैं। इन मामलों में प्रॉपर्टी, दिवालियापन, फैमिली बिजनेस विवाद, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी और इनफॉर्मेशन टेक्नॉलजी से जुड़े विवाद शामिल हैं। पंचू ने न सिर्फ देश के बल्कि कई इंटरनेशनल कमर्शल विवादों में भी मध्यस्थता की है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी दी है अहम जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट इससे पहले भी पंचू को मध्यस्थता के लिए अहम जिम्मेदारी दे चुका है। कोर्ट ने असम और नागालैंड के बीच 500 स्क्वेयर किलोमीटर के इलाके को लेकर हुए सीमा विवाद को सुलझाने के लिए उन्हें मध्यस्थ बनाया था। इसके अलावा मुंबई में भी वह पारसी समुदाय से जुड़े एक सार्वजनिक विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थ बनाए गए थे। पंचू ने मध्यस्थता पर 2 किताबें भी लिखीं हैं, ‘Settle for More’ और ‘Mediation: Practice & Law’।