नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने का फैसला देश के बड़े ऐतिहासिक फैसलों में एक था। जिस धारा 370 को हटाने की बात पर चर्चा से भी कुछ राजनीतिक दल घबराते थे, उसे खत्म करना आसान काम नहीं था। लेकिन केंद्र की मौजूदा सरकार ने अपने चुनावी वादे और कश्मीर के भविष्य का हवाला देते हुए इसे खत्म करने का फैसला किया। राज्यसभा और लोकसभा में इस पर जमकर बहस हुई और अंतत: दोनों सदनों से यह बहुमत के साथ पास हुआ। सरकार के इस फैसले को कुछ ऐसे राजनीतिक दलों का भी साथ मिला जो धुर विरोधी रहे। वहीं कांग्रेस समेत कुछ राजनीतिक दलों ने इसका जमकर विरोध भी किया।
सरकार के इस फैसले का समर्थन करनेवालों में सबसे चौंकाने वाला नाम अरविंद केजरीवाल और बीएसपी प्रमुख मायावती का रहा। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ऐसे पहले विपक्षी नेता थे जिन्होंने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यसभा को सरकार के फैसले की जानकारी देने के तुरंत बाद एक संदेश ट्वीट किया। उन्होंने अपने ट्वीट में सरकार के इस फैसले का समर्थन किया।
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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले का समर्थन किया। बीजेपी की पूर्व सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के एकमात्र राज्यसभा सदस्य, कनकमेडला रवींद्र कुमार ने NDA सरकार के फैसले की सराहना की और कहा कि यह जम्मू और कश्मीर के निवासियों को उन तनावों से राहत देगा, जो वे पिछले छह दशकों से झेल रहे हैं। कुमार ने कहा, 'इस प्रावधान को लागू करने से उन्हें देश के अन्य लोगों के समान अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।'
जबकि TDP के प्रमुख एन चंद्रबाबू बाबू नायडू ने 2018 में बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए से नाता तोड़ने के बाद मोदी सरकार के मुखर विरोधियों में गिन जाने लगे थे। 2019 चुनाव के दौरान भी मोदी विरोधी नेताओं की टोली में चंद्रबाबू नायडू अग्रणी पंक्ति में थे लेकिन धारा 370 के सवाल पर उनकी पार्टी ने सरकार के फैसला का समर्थन किया।
राज्यसभा में बहुमत नहीं रहने के बाद भी विपक्षी दलों का इस तरह सरकार के फैसले के समर्थन में आगे आना एनडीए सरकार की बड़ी उपलब्धि रही।
बीजू जनता दल (BJD) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी जैसे विपक्षी दल जो कि कई मुद्दों पर सरकार के विरोध में थे, लेकिन धारा 370 के मुद्दे पर सरकार के फैसले का समर्थन कर सबको चौंका दिया। वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी “पूरे दिल से” बिल का समर्थन करती है। BJD ने कहा कि सरकार के फैसले ने जम्मू-कश्मीर को "वास्तविक अर्थों" में भारत का अभिन्न अंग बना दिया।
वहीं कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब राज्यसभा और लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के पेश किया था तब कांग्रेस पार्टी ने दोनों सदनों में सरकार के इस पहल का पुरजोर विरोध किया था। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने तो इसे लोकतंत्र का काला दिन करार दिया था।
केंद्र सरकार ने एक साल पहले जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 370 समाप्त करते हुए और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों. जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया था। इससे संबंधित बिल को राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई थी।