भारत और चीन के बीच पिछले दो महीनों से सीमा विवाद को लेकर तनाव जारी है। गलवान घाटी में पिछले महीने 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद मामला और भी पेचीदा हो गया है। चीन की ओर से यह घुसपैठ नई बात नहीं है। पहले भी चीन कई बार घुसपैठ कर चुका है। इसका हमेशा से कूटनीतिक तरीके से भारत जवाब देता रहा है। लेकिन 1965 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जिस तरह से चीन को जवाब दिया, वह वाकई में इतना अनोखा था कि चीन तिलमिला गया था।
1962 के युद्ध के तीन साल बाद 1965 में चीन ने भारतीय सैनिकों पर भेड़ चोरी करने का आरोप लगाया था। चीन ने भारत सरकार को एक चिठ्ठी लिखकर आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने उसकी 800 भेड़ें और 59 याक चुराए हैं। भारत सरकार ने इसे नकार दिया था। तब जनसंघ के नेता अटल बिहारी वाजपेयी करीब 800 भेड़ों को लेकर चीनी दूतावास पहुंच गए थे।
चीन ने बताया अपनी 'बेइज्जती'
चीन के इस आरोप पर जन संघ के 42 वर्षीय नेता अटल बिहारी वाजपेयी के इस कदम से चीन बुरी तरह बौखला गया। दरअसल, वाजपेयी ने 800 भेड़ों के झुंड का इंतजाम किया और दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के बहर पहुंच गए। दूतावास के बाहर पहुंची सभी भेड़ों के गले में तख्ती लटकी थी जिस पर 'मुझे खा लो पर दुनिया को बचा लो' लिखा था। चीन ने वाजपेयी के इस कदम से नाराज होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व वाली सरकार को एक और पत्र लिखा। इसमें उन्होंने वाजपेयी के प्रदर्शन को चीन की 'बेइज्जती' बताया और आरोप लगाया कि शास्त्री सरकार के समर्थन के बिना ऐसा प्रदर्शन संभव नहीं है।
भारत के सामने थी दोहरी चुनौती
1965 के अगस्त-सितंबर में चीन ने आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने उसकी भेड़ें और याक चुरा लिए हैं। चीन का यह आरोप ऐसे समय में आया था, जब वह सिक्किम पर अपनी नजरें गड़ाए बैठा था और अपना विस्तार करना चाहता था। दूसरी तरफ भारत पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर में हो रही अवैध घुसपैठ को रोकने में व्यस्त था। तब सिक्किम के इलाके में अपनी विस्तारवादी कुटिल नीति आजमा रहा था। सिक्किम का राज्य भारत की सुरक्षा के अंतर्गत था। उस समय सिक्किम भारत का हिस्सा नहीं बना था। तीन साल पहले ही चीन से भारत को हार मिली थी। चीन भारत को एक और सबक सिखाने की तैयारी में था।
तिब्बती शरणार्थियों से परेशान था चीन
चीन ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने तिब्बत के चार लोगों का अपहरण कर लिया है। इसके जवाब में यहां की सरकार ने कहा कि बाकी तिब्बती शरणार्थियों की तरह इन चार लोगों ने भी अपनी मर्जी से भारत आकर यहां शरण ली है। वो अपनी मर्जी के अनुसार कभी भी चीन जाने के आजाद हैं। इन चार में दो महिलाएं थीं, जिनके भारत आने को लेकर चीन काफी नाराज था।