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अरबों के घपले में क्या था चिदंबरम का रोल? 12 साल के खेल का पूरा कच्चा-चिट्ठा

कांग्रेस नेता और देश के पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम को कल रात करीब 31 घंटे के ड्रामे के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल उन्हें सीबीआई मुख्यालय के गेस्ट हाउस में ही रखा गया है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : August 22, 2019 10:34 IST
अरबों के घपले में क्या था चिदंबरम का रोल? 12 साल के खेल का पूरा कच्चा-चिट्ठा
अरबों के घपले में क्या था चिदंबरम का रोल? 12 साल के खेल का पूरा कच्चा-चिट्ठा

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और देश के पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम को कल रात करीब 31 घंटे के ड्रामे के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल उन्हें सीबीआई मुख्यालय के गेस्ट हाउस में ही रखा गया है। आज दोपहर करीब दो बजे चिदंबरम को दिल्ली के राउज एवेन्यू में सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा जहां से सीबीआई उन्हें अपनी कस्टडी में लेने की कोशिश करेगी। वहीं चिदंबरम की तरफ से भी जमानत की अपील की जाएगी। यहां सवाल उठता है कि वो मामला क्या है जिसमें भ्रष्टाचार को लेकर चिदंबरम ईडी और सीबीआई के शिकंजे में फंस गये हैं?

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दरअसल चिदंबरम पर आईएनएक्स मीडिया ग्रुप को Foreign Investment Promotion Board यानी FIPB की मंजूरी देने में गड़बड़ी के आरोप हैं। आरोप है कि 2007 में जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब उन्होंने पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी की कंपनी आईएनएक्स मीडिया को FIPB की मंज़ूरी दिलाई जिसके बाद कंपनी में 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया जबकि कंपनी को सिर्फ 5 करोड़ रूपये के निवेश की मंजूरी दी गई थी। आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया ने खुद को बचाने के लिए कार्ति चिदंबरम की मदद ली और सरकारी अफसरों को प्रभावित करने की कोशिश की। 

आरोप ये भी है कि इसके एवज में चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को रिश्वत मिली। कार्ति की कंपनी को आईएनएक्स मीडिया हाउस से फंड ट्रांसफर हुआ। सीबीआई का आरोप है कि कार्ति चिदंबरम की कंपनी एडवॉन्टेज स्ट्रैटेजिक कंसलटेन्सी को आईएनएक्स मीडिया ने 10 लाख रुपये दिए। जांच एजेंसी का कहना है कि कार्ति की कंपनी को आईएनएक्स मीडिया से 7 लाख डॉलर की रकम मिली थी।

सूत्रों की मानें तो जांच एजेंसियों के पास इन आरोपों के पुख्ता सबूत हैं लेकिन चिदंबरम खुद को बेकसूर बता रहे हैं। उनका कहना है कि आईएनएक्स केस में ना तो उनका और ना ही उनके बेटे का नाम एफआईआर में था। इसके बावजूद उनके और उनके बेटे के खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। चिदंबरम जो भी कहें लेकिन दोनों जांच एंजेसियों के सूत्र दावा कर रहे हैं कि रिश्वतखोरी के इस मामले में ऐसे सबूत हाथ लगे हैं जिनको लेकर चिदंबरम से पूछताछ बेहद ज़रूरी है। 

इसकी एक बड़ी वजह आईएनएक्स मीडिया की डायरेक्टर इंद्राणी मुखर्जी का सरकारी गवाह बनना भी है। सूत्रों की मानें तो इंद्राणी ने सीबीआई को कई अहम जानकारी दी है। इंद्राणी मुखर्जी ने पूछताछ में बताया है कि वो कार्ति से दिल्ली के हयात होटल में मिली थी। यहीं पर कार्ति ने इंद्राणी से 10 लाख डॉलर की मांगी थी। इसके बाद एक योजना बनाई गई जिसके मुताबिक इंद्राणी मुखर्जी ने कार्ति की कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड (एएससीपीएल) में शामिल हुए। इसके बाद कथित मुआवजे के रूप में उस समय एएससीपीएल और उससे जुड़ी कंपनियों ने आईएनएक्स मीडिया पर 3.10 करोड़ के लिए चार चालान बनाए और उनकी प्रतिपूर्ति की गई। इसके बाद FIPB ने अनियमितताओं को ठीक करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी।

इंद्राणी की इस गवाही के बाद सीबीआई ने 15 मई 2017 को आईएनएक्स मीडिया का केस दर्ज किया जबकि ईडी ने पिछले साल इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। इस केस में पिछले साल पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तार भी किया गया था। हालांकि कार्ति फिलहाल जमानत पर हैं और अब पिता पर कार्रवाई को वो भी राजनीति से प्रेरित और कुछ लोगों को खुश करने का ड्रामा बता रहे हैं। इस मामले में सीबीआई के साथ ही ईडी ने भी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति पर करप्शन के ज़रिये संपत्ति बनाने के गंभीर आरोप लगाये हैं।

ईडी का आरोप है कि पी. चिदंबरम के बेटे ने कथित घोटाले की रकम से स्‍पेन में एक टेनिस क्‍लब, ब्रिटेन में कॉटेज और भारत में 54 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रापर्टी खरीदी है। ईडी के अटैचमेंट ऑर्डर के मुताबिक कार्ती चिदंबरम ने ये संपत्तियां रिश्‍वत के पैसे से ही खरीदी है। चिदंबरम का दिल्‍ली के जोरबाग का बंगला जिसकी कीमत 16 करोड़ है जिसे एयरसेल-मैक्सिस केस में अटैच किया जा चुका है। कार्ति के 9.23 करोड़ और 90 लाख के दो फिक्स डिपॉजिट भी अटैच किए जा चुके है। ईडी के मुताबिक कार्ति के बार्सिलोना टेनिस क्‍लब की कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये है।

चिदंबरम पर एयरसेल-मैक्सिस मामले में भी वित्त मंत्री के रूप में पद के दुरूपयोग का आरोप है। मामला 3500 करोड़ की एफडीआई की मंजूरी से जुड़ा है। इस मामले में चिदंबरम और उनके बेटे को गिरफ्तारी से अंतरिम प्रोटेक्शन मिली हुई है। चिदंबरम पर इस मामले में भी कथित तौर पर बेटे की कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप है। 2015 में इस मामले का खुलासा राज्यसभा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने किया था।

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