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Bitcoin क्या है जिसकी वैल्यू पहुंच सकती है करीब 65 लाख रुपए तक, लोग क्यों हो रहे हैं इसके दीवाने?

बिटकॉइन एक डिजिटल करंसी है जो पारंपरिक सिक्कों और नोटों की शक्ल में मौजूद नहीं है। इसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही रखा जा सकता है।

Edited by: India TV News Desk
Updated on: December 12, 2017 12:16 IST
What_is_Bitcoin- India TV Hindi
What_is_Bitcoin

नई दिल्ली: बिटकॉइन में आ रही तेजी को देखकर कई निवेशकों के मन में लालच आ रहा है। सन 2008 की आर्थिक मंदी की भविष्यवाणी करने वाले दुनिया के बड़े दार्शनिकों में से एक, नसीम निकोलस तालेब ने कहा है कि इस क्रिप्टोकरंसी की वैल्यू 1 लाख डॉलर (करीब 65 लाख रुपए) तक पहुंच सकती है। 2017 में बिटकॉइन में 1 हजार फीसदी की तेजी आ चुकी है। अगर किसी ने 65 हजार रुपए में 2013 में बिटकॉइन खरीद लिए होते तो आज उसकी कीमत 520 करोड़ रुपए होती है।

इतना आकर्षक रिटर्न देखकर किसी के मन में भी लालच आना तय है। बिटकॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है। भारत में ऐसी 400 क्रिप्टोकरेंसी है। बिटकॉइन एक डिजिटल करंसी है जो पारंपरिक सिक्कों और नोटों की शक्ल में मौजूद नहीं है। इसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही रखा जा सकता है। इसके जरिए आप अब कुछ चीजें खरीद भी सकते हैं। इस क्रिप्टोकरंसी को जारी करने की प्रक्रिया को "माइनिंग" कहते हैं। इसके तहत दुनिया भर के कंप्यूटरों के बीच जटिल कंप्यूटर अल्गोरिदम को हल करने का मुकाबला होता है जो जीतता है उसे नये बिटकॉइन मिलते हैं।

बिटकॉइन पर केंद्रीय बैंकों का नियंत्रण नियंत्रण नहीं

पारंपरिक मुद्राओं पर जहां केंद्रीय बैंकों का नियंत्रण होता है, वहीं बिटकॉइन पर ऐसा कोई नियंत्रण नहीं है। यूजर्स, माइनर्स और निवेशकों को मिलाकर बनी एक कम्युनिटी बिटकॉइन को संभालती है। आज तक पता नहीं चल पाया है कि बिटकॉइन बनाने वाले सातोशी नाकामोतो हैं कौन। ऑस्ट्रेलियाई कंप्यूटर वैज्ञानिक और उद्योगपति क्रेग राइट ने मई 2016 में दावा किया कि वह सातोशी नाकामोतो हैं लेकिन वह इसका प्रमाण नहीं दे पाये। यह भी नहीं पता कि सातोशी नाकामोतो एक छद्म नाम था या फिर कंप्यूटर डेवलपर्स के एक समूह या किसी व्यक्ति ने इस नाम का इस्तेमाल किया। यह भी साफ नहीं है कि नाकामोतो अभी जिंदा है या नहीं।

अभी तक सिर्फ 1.67 करोड़ बिटकॉइन ही जारी किये गये हैं। 2140 तक इनकी संख्या 2.1 करोड़ तक पहुंच सकती है। अभी हर दस मिनट में 12.5 बिटकॉइन जारी किये जाते हैं। माइनिंग कंप्यूटरों को चलाने के लिए बहुत ऊर्जा चाहिए। जितना ज्यादा दाम लगता है, उतने ही ज्यादा कंप्यूटर मुकाबले में उतरते हैं। उसी हिसाब से ऊर्जा की खपत बढ़ जाती है।

अगले स्लाइड में जानें क्यों आपको पूरा बिटकॉइन खरीदने की जरूरत नहीं है...

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