नई दिल्ली: आज़ाद भारत के सबसे बड़े घोटाले पर आज कोर्ट के फैसले ने सबको चौंका दिया। सीएजी की रिपोर्ट में जो दावा किया गया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में 1 लाख 76 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है उस पर आज सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इसके बाद सवाल है क्या ये स्कैम हुआ ही नहीं? वहीं इस फैसले के बाद दिल्ली की सियासत में अचानक गर्मी आ गई है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण की मांग की है। इस पर सरकार की ओर से वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस को खुश होने की जरूरत नहीं। जेटली ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि स्पेक्ट्रम मनमाने तरीके से बांटा गया।
जेटली सामने आए। उन्होंने जोर देकर कहा, '2G लाइसेंस आवंटन में यूपीए सरकार की तरफ से भ्रष्टाचार किया गया था।' उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी आवंटन प्रक्रिया को गलत माना था। कांग्रेस नेताओं के आक्रामक रुख को लेकर जेटली ने तंज कसा कि फैसले को तमगा मानकर कांग्रेस खुश हो रही है।
कोर्ट का फैसला बहुत बुरा है- सुब्रमण्यम स्वामी
2जी केस पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का बड़ा आरोप लगाया है। स्वामी ने कहा कि केस के लिए सही वकीलों का चुनाव नहीं हुआ। उनके मुताबिक इस केस को गंभीरता से नहीं लड़ा गया। इस मामले में सीबीआई की भूमिका पर भी स्वामी ने सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए स्वामी ने कहा कि मुकुल रोहतगी ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। रोहतगी इस मामले में कई आरोपियों की पैरवी भी कर रहे थे। स्वामी ने कहा हमारी पार्टी में कुछ लोग ऐसे हैं जो भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर नहीं है लोग 2019 में हमारी जिम्मेदारी तय करेंगे।
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल ने कहा है, 'साबित हो गया कि विपक्ष के झूठ का घोटाला हुआ है। बिना किसी सबूत के UPA सरकार पर निराधार आरोप लगाए गए।' सिब्बल ने कहा, 'तत्कालीन कैग विनोद राय ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ साजिश की थी। इस फैसले ने साबित कर दिया है कि राय की निष्ठा किस ओर थी। जब मैंने जीरो लॉस की बात कही थी तो तत्कालीन विपक्ष और ऑनलाइन ट्रोलर्स ने मुझे निशाने पर लिया था। आज यूपीए सरकार की बात पर मुहर लगाई है।'
अदालत में जो केस चल रहा है उसमें आरोप है कि मनमोहन सरकार में दूरसंचार मंत्री रहे ए राजा ने टेलीकॉम सेक्रेट्री सिद्धार्थ बेहरुआ और ए राजा के निजी सचिव आर के चंदोलिया के साथ मिलकर प्राइवेट टेलीकॉम ऑपरेटर्स को अरबों रुपये का फायदा पहुंचाया। 10 जनवरी, 2008 को टेलीकॉम विभाग ने लाइसेंस देने के लिए 'पहले आओ-पहले पाओ' की नीति अपनाई और इसके लिए कट-ऑफ की तारीख 25 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी गई। कट ऑफ की तारीख पब्लिक को नहीं बताई गई लेकिन उन लोगों को बता दी गई जिन्हें फायदा पहुंचाना था ताकि वो अपने दस्तावेज़ तैयार कर सकें और दस्तावेज़ मिलते ही लाइसेंस जारी कर दिए गये।
2जी घोटाले में क्या हुआ?
- मई 2007 में ए. राजा यूपीए सरकार में टेलीकॉम मिनिस्टर बने
- अगस्त 2007 में 2 जी स्पैक्ट्रम के लाइसेंस देने शुरू किए
- 2 नवंबर 2007 को तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने ए राजा को चिट्ठी लिखी
- मनमोहन सिंह ने आवंटन में पारदर्शिता बरतने और फीस रिव्यू करने के लिए कहा
- 22 नवंबर 2007 को वित्त मंत्रालय ने भी लाइसेंस प्रक्रिया पर सवाल उठाए
- 10 जनवरी, 2008 को 'पहले आओ- पहले पाओ' की नीति अपनाई
- लाइसेंस के लिए कट-ऑफ की तारीख 25 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी गई
- 4 मई, 2009 को एनजीओ ने सीवीसी से अनियमितता की शिकायत की
- 21 अक्टूबर, 2009 को CBI ने टेलीकॉम विभाग के अज्ञात अफसरों पर FIR किया
- 10 नवंबर, 2010 को CAG ने कहा 1.76 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ
- नवंबर 2010 में ए राजा ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया
- 17 फरवरी, 2011 को डी राजा को गिरफ्तार किया गया
- 14 मार्च, 2011 को दिल्ली हाई कोर्ट ने विशेष अदालत का गठन किया
- 2 अप्रैल, 2011 को सीबीआई ने 2G मामले में चार्जशीट दाखिल की
- 25 अप्रैल, 2011 को CBI ने दूसरी चार्जशीट दाखिल की
- CBI की दूसरी चार्जशीट में डीएमके नेता कनीमोझी का भी नाम शामिल था
- 11 नवंबर, 2011 को विशेष अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई
- 12 दिसंबर, 2011 को सीबीआई ने तीसरी चार्जशीट दाखिल की.
- 2 फरवरी, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने 2जी लाइसेंस रद्द कर दिए
- 19 अप्रैल, 2017 को इस केस की सुनवाई खत्म हुई
- आज यानी 21 दिसम्बर 2017 को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने ए. राजा और कनिमोझी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया
कितना बड़ा है टूजी घोटाला?
पूरा देश उस वक्त चौंक गया जब सीएजी ने बताया कि टूजी घोटाला एक लाख 76 हज़ार करोड़ का है। शुरुआत में तो लोग अंदाज़ा भी नहीं लगा पाए कि आखिर ये रकम होती कितनी है। आज भी इसे लिखना और समझना मुश्किल है। जिस घोटाले से तत्कालीन मनमोहन सरकार हिल गई, जिस घोटाले के लिए कई दिनों तक संसद ठप रही, जिस घोटाले के लिये यूपीए सरकार को जेपीसी बनानी पड़ गई वो घोटाला अगर देश के काम आता तो देश की सूरत बदल गई होती।
-साल 2008, जिस साल ये घोटाला हुआ उस साल देश का रक्षा बजट 1 लाख 5 हज़ार 600 करोड़ रुपये का था, यानी घोटाले की रकम इस रक्षा बजट से करीब डेढ़गुनी थी
-2008 में देश का स्वास्थ्य बजट मात्र 16,534 करोड़ रुपये था, यानी घोटाले की रकम इससे दस गुना ज्यादा थी
-इसी तरह 2008 में शिक्षा का बजट 34,400 करोड़ रुपये था...यानी 2जी घोटाले की रकम से 6 सालों तक देश की शिक्षा का खर्चा चल सकता था और उसी साल 2008 में गावों के विकास के लिए 14,000 करोड का बजट रखा गया था
-अगर 2जी घोटाले की रकम का इस्तेमाल गांवों के विकास के लिए हुआ होता तो हिन्दुस्तान के गांवो की सूरत बदल जाती
देश ने इससे पहले इतना बड़ा घोटाला नहीं देखा था। 1 लाख 76 हज़ार करोड़ का ज़िक्र आने पर अर्थशास्त्रियों तक के कान खड़े हो गये। देश में ये भी पहली बार हुआ जब कोई कैबिनेट मंत्री घोटाले के लिए जेल गया। सीबीआई ने 2009 से केस की जांच शुरू की और नवंबर 2010 में ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा और चार महीने बाद ही फरवरी 2011 में उनको गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में कनिमोझी को भी जेल हुई थी।