कोलकाता। पश्चिम बंगाल में कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से ‘‘कट मनी’’ स्वीकार करने वाले निर्वाचित जन प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों को अब एक कड़े कानून के तहत आरोपी बनाया जाएगा जिसमें दोषी ठहराये जाने पर आजीवन कारावास का प्रावधान है। यह बात मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने मंगलवार को कही।
इस बीच राज्य विधानसभा में लगातार दूसरे दिन इस मुद्दे पर हंगामा हुआ। विपक्ष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बयान दिए जाने और मामले की जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की। मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि ‘‘दोषी’’ जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत आरोपी बनाया जाएगा जो कि लोकसेवक, बैंकर, एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वास हनन से संबंधित है।
इस कानून के तहत दोषी ठहराया जाने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा या जुर्माने के अलावा 10 वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है। उन्होंने बताया कि यह निर्णय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया। यह निर्णय राज्य के विभिन्न हिस्सों में व्यापक हंगामे के बाद लिया गया जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को भीड़ ने घेर लिया और उनसे वह ‘‘कट मनी’’ वापस करने की मांग की जो उनसे सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभ सुनिश्चित करने के लिए लिया गया।
बनर्जी ने गत 18 जून को तृणमूल पार्षदों की एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्हें आदेश दिया था कि वे लाभार्थियों से लिया गया ‘कट मनी’ का कमीशन वापस करें। उन्होंने तब कहा था, ‘‘मैं अपनी पार्टी में चोरों को नहीं रखना चाहती। यदि मैं कार्रवाई करूंगी, वे किसी और पार्टी में शामिल हो जाएंगे। कुछ नेता गरीबों को आवास अनुदान मुहैया कराने के लिए 25 प्रतिशत कमीशन मांग रहे हैं। यह तत्काल रुकना चाहिए। यदि आपने लिया है तो पैसा तत्काल लौटा दीजियें’’
विपक्षी माकपा और कांग्रेस ने मंगलवार को मुद्दे पर विधानसभा में अपना विरोध जारी रखा और बहिगर्मन भी किया। विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने दावा किया कि ‘कट मनी’ का मुद्दा और उसके खिलाफ प्रदर्शनों ने पूरे राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न कर दी है। उन्होंने कहा, ‘‘मुद्दे की जांच आयोग द्वारा जांच करने की जरूरत है जिसका गठन तत्काल राज्य सरकार को करना चाहिए। हम इसके साथ ही मुख्यमंत्री की ओर से सदन में एक बयान की मांग करते हैं।’’
तृणमूल सूत्रों के अनुसार बनर्जी द्वारा ‘‘जल्द ही’’ सदन में एक बयान दिये जाने की उम्मीद है। इस बीच संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह मुद्दे पर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है।
एडीजी (कानून एवं व्यवस्था) ज्ञानवंत सिंह ने कहा, ‘‘एक बार शिकायतें दर्ज होने पर नागरिक प्रशासन इनकी जांच कर सकता है क्योंकि यह मुख्य तौर पर पंचायतों या निकायों द्वारा संचालित योजनाओं से संबंधित है। अनियमितता पाये जाने पर पुलिस औपचारिक रूप से शिकायतें दर्ज करेगी और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगी।’’ सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को औपचारिक शिकायत प्राप्त होते ही निर्देशों का पालन करने को कहा गया है।
संयोग से राज्य सरकार ने जनप्रतिधियों द्वारा लोगों से ‘‘कट मनी’’ वसूलने के बारे में शिकायतें प्राप्त करने के लिए पूर्व में एक शिकायत इकाई शुरू की थी और एक टोल फ्री नम्बर और ईमेल शुरू किया था। इस बीच, सूरी से मिली खबर के अनुसार ‘‘कट मनी’’ वापस करने को लेकर प्रदर्शनों के बीच बीरभूम जिले के तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता ने सरकारी योजनाओं के 100 से अधिक लाभार्थियों को करीब 2.25 लाख रुपये लौटा दिये जिनसे उन्होंने वह कमीशन के तौर पर लिये थे। उक्त नेता ने उनसे माफी भी मांग ली।
जिला मुख्यालय नगर सूरी के बाहरी क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस के बूथ अध्यक्ष त्रिलोचन मुखोपाध्याय ने उक्त राशि 141 लोगों को लौटा दी जिनसे उन्होंने मनरेगा के तहत काम मुहैया कराने के लिए ली थी। मुखोपाध्याय ने कहा, ‘‘मैंने लोगों से माफी मांग ली है और धनराशि वापस कर दी। मैं वादा करता हूं कि मैं यह दोबारा नहीं करूंगा।’’