कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से अपील की है कि वह राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को सौंपने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। राज्य सरकार ने गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखकर पूछा कि राज्यपाल की सुरक्षा सीआरपीएफ को सौंपे जाने का फैसला लेने से पहले उससे विचार-विमर्श क्यों नहीं किया गया।
राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ‘‘राज्य सरकार ने राज्यपाल की नियुक्ति के पहले दिन से उन्हें ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा दी है। तो फिर, गृह मंत्रालय ने हमसे विचार-विमर्श किए बिना सीआरपीएफ को उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला अचानक क्यों लिया?’’ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार के सुरक्षा प्रबंध पुख्ता हैं और गृह मंत्रालय से इस मामले पर पुनर्विचार करने की अपील की गई है।
धनखड़ ने 30 जुलाई को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की थी। गृह मंत्रालय ने 15 अक्टूबर को आदेश जारी कर सीआरपीएफ को धनखड़ की सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेने का आदेश दिया था। राज्यपाल को सुरक्षा कवर समूचे देश में दिया जाएगा। हालांकि, मंत्रालय की इस अधिसूचना को जारी किए एक सप्ताह से अधिक समय हो गया है, लेकिन सीआरपीएफ ने राजभवन में राज्यपाल की सुरक्षा का प्रभार अभी नहीं संभाला है।
नया सुरक्षा डिजाइन बनाने को लेकर राज्य पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों और अर्द्धसैन्य बल की बैठकें बेनतीजा रही हैं, जिसके कारण सीआरपीएफ के लिए राज्यपाल की सुरक्षा का प्रभार लेना मुश्किल हो गया है। राज्यपाल के कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि कथित रूप से छात्र संघों द्वारा यादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में राज्यपाल का वाहन रोके जाने के बाद उनकी सुरक्षा को ‘जेड’ से ‘जेड प्लस’ श्रेणी करने का राज्य सरकार से अनुरोध किया गया था।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के साथ विश्वविद्यालय में धक्का-मुक्की की गई थी और राज्यपाल उन्हें बचाने के लिए गए थे, तभी उनका वाहन कथित तौर पर रोका गया था। राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी को ही ‘जेड प्लस’ सुरक्षा प्राप्त है।