कोलकाता: पश्चिम बंगाल में NRS मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हिंसा के खिलाफ जारी डॉक्टरों के आंदोलन के बीच राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों के 600 से अधिक वरिष्ठ चिकित्सकों ने सेवा से इस्तीफा दे दिया। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि कोलकाता, बर्द्धमान, दार्जिलिंग और उत्तर 24 परगना जिलों में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के विभागाध्यक्ष समेत डॉक्टरों ने राज्य के चिकित्सा शिक्षा निदेशक को त्यागपत्र भेजा है। इसके अलावा आपको बता दें कि देश के अलग-अलग हिस्सों में आज भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। दिल्ली में कुल 18 अस्पतालों के चिकित्सक हड़ताल कर रहे हैं।
आंदोलनकारियों के समर्थन में इस्तीफे
कलकत्ता स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के निदेशक डॉ. पी कुंडू ने त्यागपत्र में लिखा, ‘‘ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पर बर्बर हमले के खिलाफ प्रदर्शनरत NRS मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल तथा अन्य अस्पतालों के मौजूदा घटनाक्रम पर पूरी एकजुटता जताते हैं।’’ वहीं, नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के दवा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. दीपांजन बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा की उनकी मांग का हम समर्थन करते हैं।’
मुख्यमंत्री का प्रस्ताव ठुकराया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों को राज्य सचिवालय में बैठक के लिए बुलाया था। लेकिन, मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव को डॉक्टरों ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह उनकी एकता को तोड़ने की एक चाल है। वरिष्ठ चिकित्सक सुकुमार मुखर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को चिकित्सकों के नहीं आने पर उन्हें शनिवार शाम पांच बजे राज्य सचिवालय नाबन्ना में मिलने का समय दिया था।
हालांकि, मुखर्जी आंदोलन में शामिल नहीं हुए और अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ ममता बनर्जी से मिलने गए तथा इस समस्या का हल निकालने के लिए सचिवालय में मुख्यमंत्री के साथ दो घंटे तक बैठक की। इसके बाद ममता ने मेडिकल एजुकेशन के निदेशक प्रदीप मित्रा तीन-चार जूनियर डॉक्टरों को बैठक के लिये सचिवालय में बुलाने के लिये कहा।
जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के एक प्रवक्ता ने कहा, "यह हमारी एकता और आंदोलन को तोड़ने की चाल है। हम राज्य सचिवालय में किसी बैठक में शिरकत नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री को यहां (एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल) आना होगा और कल एसएसकेएम अस्पताल के दौरे के दौरान उन्होंने हमें जिस तरह से संबोधित किया, उसके लिये बिना शर्त माफी मांगनी होगी।"
देशभर के डॉक्टरों का समर्थन
दिल्ली में कुछ सरकारी एवं निजी अस्पतालों के कई डॉक्टरों ने कोलकाता में आंदोलनरत चिकित्सकों के प्रति एकजुटता जताने के लिए शुक्रवार को काम का बहिष्कार करते हुये नारेबाजी की और मार्च निकाला। डॉक्टरों के एक समूह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन से मुलाकात करके कहा कि अस्पतालों में मारपीट की हालत में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। वर्धन ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वे उनकी मांग पर विचार करेंगे।
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज से संबद्ध स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) चिकित्सालय के रेजिडेंट डॉक्टर कोलकाता में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटना के विरोध में शुक्रवार को हड़ताल पर चले गए। एसआरएन के रेजिडेंट डॉक्टर चंदन ने बताया कि कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के विरोध में यहां के डॉक्टरों ने भी हड़ताल कर दी है।’
झारखंड की राजधानी रांची के राजेन्द्र आयुर्विग्यान संस्थान, धनबाद के पीएमसीएच और जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल के चिकित्सकों ने भी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में डाक्टरों पर हुए हमले के विरोध में काले बिल्ले लगाकर प्रदर्शन किया और हमलावरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। झारखंड में भारतीय चिकित्सा परिषद् के संयोजक डा. अजय कुमार ने कहा कि सभी चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों के चिकित्सकों ने काले बिल्ले लगाकर प्रदर्शन किए। इसके अलावा देश के कई दूसरे शहरों से भी इन्हें डॉक्टरों का समर्थन मिल रहा है।
हाई कोर्ट क्या कहता है?
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दो चिकित्सकों पर हुए हमले के विरोध में सरकारी अस्पतालों के कनिष्ठ चिकित्सकों की हड़ताल पर कोई अंतरिम आदेश देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति सुव्रा घोष की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह हड़ताल कर रहे चिकित्सकों को काम पर लौटने और मरीजों को सामान्य सेवाएं देने के लिए राजी करे।
अदालत ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह सोमवार रात को शहर के एक अस्पताल में कनिष्ठ चिकित्सकों पर हमले के बाद उठाए गए कदमों के बारे में उसे बताए। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने हड़ताल कर रहे चिकित्सकों को याद दिलाया कि उन्होंने सभी मरीजों की भलाई सुनिश्चित करने की शपथ ली थी। पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 जून की तिथि तय की है।
कांग्रेस ने चिकित्सकों पर हमले की निंदा की
पश्चिम बंगाल में चिकित्सकों पर हुए हमले के विरोध में हड़ताल की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा वह चिकित्सकों के साथ खड़ी है और दूसरों की सेवा करने वाले इस समुदाय के खिलाफ हिंसा स्वीकार नहीं की जा सकती। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने चिकित्सकों से आह्वान किया कि वे हड़ताल खत्म कर लोगों की सेवा करना जारी रखें। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''किसी भी तरह की हिंसा की कड़ी भर्त्सना होनी चाहिए। लेकिन दूसरों की सेवा एवं उपचार के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा पूरी तरह निंदनीय और अस्वीकार्य है।"
(इनपुट-भाषा)