नयी दिल्ली: वर्ष 2018 में मौसम का 117 साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया। मौसम विभाग ने साल 2018 को 1901 के बाद अब तक का छठवां सबसे गरम साल घोषित किया है। मौसम विभाग के पिछले एक साल के रिपोर्ट कार्ड के अनुसार 2018 के दौरान चक्रवात और बिजली गिरने सहित मौसम की चरम परिस्थितियों के कारण लगभग डेढ़ हजार लोगों की मौत हुई।
मौसम विभाग ने बुधवार को 2018 के मौसम के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर बताया कि पिछले साल औसत तापमान सामान्य से 0.41 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। विभाग के मुताबिक 1901 के बाद औसत तापमान की अधिकता के लिहाज से 2016 सर्वाधिक गरम साल रहा। इसके बाद 2009, 2010, 2015 और 2017 सबसे गरम पांच साल रहे।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने रिपोर्ट के हवाले से ट्वीट कर बताया कि पिछले साल देश में चक्रवात, बिजली गिरने, भीषण गर्मी, कड़ाके की ठंड और मूसलाधार बारिश जैसी मौसम की मार से 1428 लोगों की जानें गयी। इनमें सबसे ज्यादा 590 मौत उत्तर प्रदेश में हुयी। इनमें 158 मूसलाधार बारिश जनित बाढ़ और 166 चक्रवाती तूफान में हुयी।
मौसम की चरम परिस्थितियों में हुयी कुल मौत में लगभग आधी (688) मौतें बाढ़ के कारण हुयी। इनमें केरल में बीते साल मूसलाधार बारिश के कारण आयी बाढ़ में 223 लोगों की जान गयी। तापमान बढ़ोतरी के मामले में विभाग ने भारत में पिछले 100 सालों में औसत तापमान में 0.60 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी का हवाला देते हुये कहा कि पिछली एक सदी के दौरान अधिकतम तापमान में एक डिग्री सेल्सियस का तीव्र इजाफा हुआ है। वहीं न्यूनतम तापमान में वृद्धि की दर धीमी रहते हुये पिछले सौ साल में 0.20 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गयी।
देश में बारिश के मामले में पिछला साल सामान्य रहा और इस दौरान देश में औसत बारिश की मात्रा 85 प्रतिशत रही। इसमें उत्तर पश्चिम मानसून का योगदान 90.6 प्रतिशत रहा। बारिश के क्षेत्रीय वितरण के लिहाज से मध्य भारत में दीर्घकालिक अनुमान की तुलना में सर्वाधिक 93 प्रतिशत बारिश हुयी, जबकि पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 76 प्रतिशत बारिश दर्ज की गयी। विभाग ने हालांकि अक्तूबर से दिसंबर के बीच उत्तर पूर्वी मानसून में सामान्य से कम बारिश दर्ज होने की जानकारी दी है।
पिछले साल उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में छह चक्रवाती तूफान आये। इनमें से तीन तूफानों ‘तितली’, ‘गज’ और ‘फेतई’ ने अरब सागर तक अपनी पहुंच बनाते हुये बंगाल की खाड़ी से होते हुये भारत के तटीय इलाकों में दस्तक दी। इनमें 110 लोग मारे गये। पूरे साल के दौरान कुछ इलाकों में अत्यधिक गर्मी, मूसलाधार बारिश और कड़ाके की ठंड, धूल भरी आंधी और बाढ़ की स्थिति देखने को मिली।