नयी दिल्ली: नीति आयोग के सदस्य और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष बिबेक देबराय ने आज कहा कि देश में रोजगार के बारे में कोई सटीक आंकड़ा नहीं है। पीएमईएसी की पहली औपचारिक बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, हमारे पास रोजगार को लेकर ठोस आंकड़ा नहीं है। देश में जो भी आंकड़े हैं, वह परिवारों के बीच किये गये सर्वे पर आधारित है और जो आंकड़े हैं भी वे पुराने हैं। भारत जैसे देश में उपक्रम आधारित आंकड़ा मुश्किल है। उनसे देश में पर्याप्त रोजगार सृजित नहीं होने और आंकड़ों की कमी के बारे में पूछा गया था।
उन्होंने कहा, 'भारत जैसे देश में आप रोजगार के बारे में उपक्रम सर्वे में बेहतर आंकड़ा प्राप्त नहीं कर पाते...हमें बेरोजगारी और रोजगार के बारे में आंकड़ा परिवारों के बीच किये गये सर्वे से मिलता है। एनएसएसओ का यह सर्वे भी 2011-12 के लिये है और अगला सर्वे 2018 तक उपलब्ध नहीं होगा।'
गौरतलब है कि फिलहाल जो रोजगार पर आंकड़े उपलब्ध होते हैं, वह समय पर नहीं आते और जो आंकड़े आते भी हैं, वह संगठित क्षेत्र तक सीमित होता है। असंगठित क्षेत्र में देश के कुल कार्यबल का करीब 90 प्रतिशत काम करता है लेकिन उनको लेकर कोई ठोस आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इस संदर्भ में व्यापक आंकड़े राष्ट्रीय नमूना सर्वे कार्यालय एनएसएसओ उपलब्ध कराता है लेकिन वह समय पर नहीं आता और उसमें समय अंतराल टाइम लैग होता है। परिषद की पहली बैठक में 10 क्षेत्रों की पहचान की है जिसमें आर्थिक वृद्धि और रोजगार और रोजगार सृजन सबसे पर है।
देबराय ने कहा, परिषद अपनी अगली बैठक में रोजगार के बारे में विस्तार से चर्चा करेगी। उन्होंने कहा, 'परिषद ने आर्थिक वृद्धि और रोजगार समेत 10 मुद्दों को चिन्हित किया। आने वाले महीनों में परिषद के सदस्य संबंधित मंत्रालयों, राज्यों, विशेषग्यों, संस्थानों, निजी क्षेत्र और अन्य संबंधित पक्षों के साथ विचार विमर्श कर इस बारे में रिपोर्ट तैयार करेंगे।'
देश में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के सवाल पर उन्होंने कहा, 'परिषद के सदस्यों के बीच इस बात पर सहमति थी कि आर्थिक वृद्धि दर घटी है जिसके कई कारण हैं। उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर कम होकर तीन साल के न्यूनतम स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई। उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताने इनकार करते हुए कहा कि परिषद की जिम्मेदारी विभिन्न मुद्दों पर अपनी सिफारिश प्रधानमंत्री को देने की है।'
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष आईएमएफ के आर्थिक वृद्धि के अनुमान के बारे में पूछे जाने पर परिषद के सदस्य और प्रख्यात अर्थशास्त्री डा. रथिन राय ने कहा, आईएमएफ और विबैंक के अनुमान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उनका अनुमान अक्सर गलत होता है। आईएमएफ का अनुमान 80 प्रतिशत गलत होता है। उनका अनुमान जताने का काम है, उन्हें करने दें। आईएमएफ ने चालू विा वर्ष 2017-18 के लिये देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 0.5 प्रतिशत कम कर 6.7 प्रतिशत कर दिया है।