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बुंदेलखंड में हालात हुए भयावह, पानी के लिए जान दे रहे जानवर और इंसान

बुंदेलखंड में पानी का संकट धीरे-धीरे विकराल रूप लेता जा रहा है, अब तो बात हैंडपंप पर कतार, कई किलोमीटर दूर से पानी लाने से आगे निकलकर मौत तक पर पहुंचने लगी है...

Reported by: IANS
Published on: June 03, 2018 13:39 IST
Representational Image | PTI- India TV Hindi
Representational Image | PTI

भोपाल: बुंदेलखंड में पानी का संकट धीरे-धीरे विकराल रूप लेता जा रहा है, अब तो बात हैंडपंप पर कतार, कई किलोमीटर दूर से पानी लाने से आगे निकलकर मौत तक पर पहुंचने लगी है। पानी की चाहत में जहां इंसान की जान जा रही है, वहीं जंगल में पानी न होने पर प्यास से जानवर मर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के 7 और मध्य प्रदेश के 6 जिलों में फैले बुंदेलखंड के हर हिस्से का हाल एक जैसा है। तालाब मैदान में बदल गए है, कुएं सूख चुके है, हैंडपंपों में बहुत कम पानी बचा है। कई स्थानों पर टैंकरों से पानी भेजना पड़ रहा है, तो जिन जलस्रोतों में थोड़ा पानी बचा है, वहां सैकड़ों की भीड़ लगी होना आम बात है।

टीकमगढ़ जिले के एक कुएं पर पानी की चाहत में जुटी भीड़ के चलते एक महिला की जान चली गई और 4 घायल हो गए। हुआ यूं कि खरगापुर थाना क्षेत्र के गुना गांव में कुएं पर पानी भरने के लिए जमा हुई भीड़ के भार के कारण पाट टूट गई और पांच लोग कुएं जा गिरे। इस हादसे में एक महिला की मौत हो गई, जबकि चार घायल हुए। घायलों का अस्पताल में इलाज जारी है। पानी की चाहत में मारपीट, खून बहना तो आम बात हो चला है। एक तरफ इंसानों में पानी को हासिल करने की जद्दोजहद जारी है, तो दूसरी ओर जंगलों में जानवर परेशान हैं। जंगलों के जलस्रोत बुरी तरह सूख चुके हैं, लिहाजा पानी के अभाव में जानवरों के भी दम तोड़ने की खबरें आ रही हैं।

ताजा मामला छतरपुर के बिजावर वन क्षेत्र का है, यहां के पाटन गांव में शुक्रवार को में एक तेंदुए का शव मिला है। शव करीब 2 दिन पुराना बताया जा रहा है। छतरपुर के जिला वनाधिकारी अनुपम सहाय ने मौके पर पहुंचकर पूरे मामले की जांच की। पन्ना टाइगर रिजर्व के चिकित्सकों ने शव का पोस्टमॉर्टम किया। मुख्य वन संरक्षक राघवेंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, लगभग 10 वर्षीय मादा तेंदुए की मौत का प्रारंभिक कारण प्यास प्रतीत हो रहा है, क्योंकि उसके शरीर पर चोट आदि के कोई निशान नहीं, इसलिए शिकार की आशंका नहीं है। जांच डीएफओ स्वयं कर रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता उत्तम यादव ने बताया है कि बुंदेलखंड में बीते वर्ष हुई कम वर्षा के चलते मई का महीना पूरा गुजरते तक अधिकांश जलस्रोत सूखने के करीब हैं, तालाबों में न के बराबर पानी है, कुएं सूखे है, हैंडपंपों में बड़ी मशक्कत के बाद पानी निकल रहा है। आदमी तो किसी तरह पानी हासिल कर ले रहा है, मगर जंगली जानवर और मवेशियों को प्यास बुझाना आसान नहीं है। यही कारण है कि मवेशी और जंगली जानवर पानी के अभाव में मर रहे हैं।

बुंदेलखंड के किसी भी हिस्से में किसी भी वक्त जाने पर हर तरफ एक ही नजारा नजर आता है और वह है, साइकिलों पर टंगे प्लास्टिक के डिब्बे, जलस्रोतों पर भीड़, सड़क पर दौड़ते पानी के टैंकर। आम आदमी की जिंदगी पूरी तरह पानी के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई है, मगर सरकार और प्रशासन यही दावे कर रहे हैं कि इस क्षेत्र के 70 प्रतिशत से ज्यादा हैंडपंप पानी दे रहे हैं। सच्चाई पर पर्दा डालने की इस कोशिश से लोगों में सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है।

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