नई दिल्ली: चांद तारे वाले हरे रंग के झंडे के इस्तेमाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये झंडा इस्लाम का हिस्सा नहीं है ऐसे में इस तरह के झंडे लहराने पर पाबंदी लगनी चाहिए। देश में कई मुस्लिम संगठन ऐसे ही हरे रंग के झंडे का इस्तेमाल करते हैं लेकिन ये झंडा पाकिस्तान की एक राजनीतिक पार्टी के झंडे जैसा लगता है इसलिए इस झंडे पर पाबंदी लगानी की मांग की गई है।
उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने चांद तारे वाले इस हरे झंडे पर बैन लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है जिसमें कोर्ट से इस झंडे पर रोक लगाने की अपील की गई है। वसीम रिजवी के मुताबिक ये पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टी का झंडा है और इससे मिलता-जुलता पाकिस्तान का झंडा है। इस्लाम के नाम पर ऐसे झंडे लहराने वाले पाकिस्तान के साथ खुद का जुड़ाव महसूस करते हैं।
क्योंकि चांद तारे वाला हरा झंडा पाकिस्तानी झंडे जैसा लगता है इसीलिए ऐसा झंडा फहराने से देश का माहौल खराब होने की दलील भी वसीम रिजवी ने अपनी याचिका में दी है। उनके मुताबिक इस्लाम के नाम पर ऐसे झंडे इमारतों की छतों पर फहराना दरअसल अपने देश के संविधान का उल्लंघन है। ऐसे में हरे रंग के चांद तारे वाले झंडे पर पाबंदी लगाए जाए।
साथ ही वसीम रिजवी ने कहा कि कुछ मुस्लिम लोग हरे झंडे का ऐसे इस्तेमाल करते हैं जैसे ये मुसलमानों का झंडा है। असल में हरे झंडे से इस्लाम का कोई लेनादेना नहीं है। हरा रंग इंस्लाम की कोई पहचान नहीं है ना ही चांद तारा इस्लाम के अभिन्न अंग हैं। चांद तारे वाले हरे झंडे पर पाबंदी लगाने के लिए वसीम रिजवी की तरफ से 34 पन्नों की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दी गई है।