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क्या वाकई ताजमहल है एक शिव मंदिर तेजोमहालय.....

कुछ इतिहासकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज के लिए बनवाया था। उनका मानना है कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया था वह तो पहले से बना हुआ था। उसने इसमें हेर-फेर करके इसे इस्लामिक लुक दिया था। इतिहासकार पुरुषोत्त ओक ने अपनी

Written by: India TV News Desk
Published on: August 12, 2017 10:02 IST
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नई दिल्ली: अगर हम आपसे पूछें कि ताजमहल मकबरा है या मंदिर तो आप चकरा जाएंगे। यही सवाल एक आम आदमी ने सरकार से पूछ लिया है। सरकार ने जबाव नहीं दिया तो इस व्यक्ति ने सूचना के अधिकार के तहत चीफ इन्फोर्मेशन कमिश्नर से शिकायत कर दी। अब CIC ने भारत सरकार से पूछा है कि वो बताए कि ताजमहल मंदिर है या मकबरा। इस सवाल ने करीब पांच सौ सालों से दबे इस विवाद को फिर जिन्दा कर दिया है। इतिहास की किताबों में तो यही दर्ज है कि दुनिया की ये अज़ीम और दिलकश इमारत मुगल बादशाह शाहजहां की बेगम मुमताज महल की कब्र है। इसको लेकर दशकों से बहस चली आ रही है। हर इतिहासकार अलग-अलग दावे करता है लेकिन सच पर सस्पेंस बरकरार है।

कुछ इतिहासकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज के लिए बनवाया था। उनका मानना है कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया था वह तो पहले से बना हुआ था। उसने इसमें हेर-फेर करके इसे इस्लामिक लुक दिया था। इतिहासकार पुरुषोत्त ओक ने अपनी किताब में लिखा है कि ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने के कई सबूत मौजूद हैं।

क्या वाकई ताजमहल है शिव मंदिर तेजोमहालय या एक कब्रगाह?

-मुख्य गुम्बद के किरीट पर जो कलश है वह हिन्दू मंदिरों की तरह है। यह शिखर कलश शुरू में स्वर्ण का था और अब यह कांसे का बना है। आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है। यह हिन्दू मंदिरों के शिखर पर भी पाया जाता है।

-इस कलश पर चंद्रमा बना है। अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो कि हिन्दू भगवान शिव का चिह्न है। इसका शिखर एक उलटे रखे कमल से अलंकृत है। यह गुम्बद के किनारों को शिखर पर सम्मिलन देता है।

-इतिहास में पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू और लगभग 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। अब सोचिए कि जब मुमताज का इंतकाल 1631 में हुआ तो फिर कैसे उन्हें 1631 में ही ताजमहल में दफना‍ दिया गया, जबकि ताजमहल तो 1632 में बनना शुरू हुआ था।

अगले स्लाइड में कब शुरू हुआ हिन्दू मंदिर को इस्लामिक लुक देने का कार्य......

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