नई दिल्ली: भारत ने जिस तरह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच अलग-थलग किया है, उससे वहां के अखबार खफा हैं। दूसरे देशों के बीच भारत की बढ़ती साख के लिए वे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की नीतियों को दोष दे रहे हैं। वहीं पाकिस्तान के नेता, नौकरशाह और मीडिया हाउस मान रहे है कि भारत से युद्ध का खतरा टला नहीं है।
पाकिस्तान के अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने लिखा है कि भले ही रणनीतिक कारणों से भारत ने फिलहाल युद्ध न करने का फैसला किया हो लेकिन युद्ध अप्रैल में हो सकता है। अखबार का मानना है कि भारत ने फैसला इसलिए टाला है कि अभी आने वाले दिन सर्दियों के हैं और ऐसे वक्त सैनिकों को ज्यादा दिक्कतें आएंगी। इसके अलावा इस अवधि में भारतीय सेना को साजोसामान जुटाने में भी सुविधा होगी।
'द नेशन' मान रहा है कि युद्ध फिलहाल भले न हो, लेकिन भारत लेजर हथियारों से पाकिस्तानी रक्षा और संचार उपकरणों को बेकार कर सकता है। 'द नेशन'ने कहा है कि अमेरिका के पास ऐसे लेजर हथियार हैं जो किसी शत्रु देश के संवेदनशील संचार उपकरणों का काम करना मुश्किल कर देते हैं। यही नहीं, इनकी पहुंच रोकना भी लगभग असंभव ही होता है। यह किसी देश की सीमा में घुसे बिना लड़ाई का बड़ा हथियार है।
'द न्यूज' ने भी भारत के उभरते अंतरराष्ट्रीय तेवर के लिए शरीफ की नीतियों को कमजोर माना है। 'द नेशन' ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान पर सिलसिलेवार आरोप लगाए लेकिन प्रधानमंत्री और उनकी टीम की तरफ से उसका सही ढंग से उत्तर नहीं दिया जा सका।
अफगानिस्तान और ईरान जिस तरह भारत की तरफ झुक रहे हैं, अखबार ने उस पर भी शरीफ पर गुस्सा उतारा है।'द न्यूज' ने भी भारत के उभरते अंतरराष्ट्रीय तेवर के लिए शरीफ की नीतियों को कमजोर माना है। उसका कहना है कि जिस अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून या सशस्त्र संघर्ष वाले क्षेत्र के कानून के सहारे भारत ने बलूचिस्तान का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया, पाकिस्तान को भी जम्मू-कश्मीर के मसले में वैसा ही करना चाहिए।