नई दिल्ली. कुछ राजनीतिक दलों की ओर से दलित-मुस्लिम एकता के लिए चलाए गए 'जय मीम-जय भीम' के नारे के जवाब में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने 'जय वाल्मीकि-जयश्रीराम' का नारा दिया है। हरियाणा से इस अभियान की विश्व हिंदू परिषद ने बड़े पैमाने पर शुरूआत की है। हरियाणा के गोहना में विहिप की कोशिशों के बाद स्थानीय वाल्मीकि समाज के लोगों ने सामाजिक समरसता भवन भी बनाकर तैयार किया है। विश्व हिंदू परिषद के विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार के मुताबिक, अनुसूचित जाति के लोग हिंदू समाज के अटूट अंग हैं। कोई भी साजिश उन्हें अलग नहीं कर सकती।
केंद्रीय संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेंद्र कुमार जैन का कहना है कि, "डॉ. अंबेडकर ने संघ के द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी को कहा था कि यदि हिन्दू संत घोषित कर दें कि छुआछूत हिंदू समाज का हिस्सा नहीं है, तो छुआछूत की भावना मिट सकती है। जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद के 1969 में उडुपी के सम्मेलन में समाज से ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाने का प्रस्ताव पास किया था। तब से विश्व हिंदू परिषद देश से छुआछूत के खात्मे के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रही है।"
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विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने IANS को बताया कि हरियाणा के गोहोना में बीते 23 अगस्त को हुए एक आयोजन में वाल्मीकि समाज के कुल 104 युवकों ने नीला पटका छोड़कर भगवा पटका धारण किया। तहसील के हर गांव से दो-दो युवकों को इस आयोजन में बुलाया गया था। चंद्रशेखर रावण के संगठन को छोड़कर सभी वाल्मीकि समाज के युवाओं ने हिंदू एकता के लिए विहिप के साथ मिलकर सनातन धर्म की थाती को संभालने का संकल्प लिया।
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उन्होंने बताया कि विश्व हिंदू परिषद के सामाजिक समरसता अभियान के तहत दलित समाज के लोगों को मुख्यधारा में लाने की कोशिशें लगातार चल रहीं हैं। हरियाणा में विश्व हिंदू परिषद के प्रांत उपाध्यक्ष और सेवानिवृत्त न्यायाधीश पवन कुमार के नेतृत्व में वाल्मीकि समाज के युवाओं को विहिप से जोड़ने का अभियान चल रहा है। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि "एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता दलितों को बरगलाने की कोशिश करते हुए 'जय भीम-जय मीम' का नारा लगाते हैं। उन जैसे नेताओं को हरियाणा के वाल्मीकि समाज के युवाओं ने एक ही नारा एक ही नाम, जय बाल्मीकि जय श्री राम के जरिए मुंहतोड़ जवाब दिया है।"