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इंदौर: झोपड़ी में रहता था शहीद का परिवार, युवाओं ने जुटाए पैसे और बनवा दिया मकान, राखी बंधवाकर दिया यह गिफ्ट

मध्य प्रदेश के इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं ने वह मिसाल पेश की है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।

Reported by: Anurag Amitabh @anuragamitabh
Published : August 16, 2019 12:52 IST
Village youths gift house to martyr's widow on Raksha Bandhan | India TV
Village youths gift house to martyr's widow on Raksha Bandhan | India TV

इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं ने वह मिसाल पेश की है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। दरअसल, इन युवाओं ने 27 साल पहले शहीद हो चुके सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक जवान के परिवार के सिर पर जनसहयोग से छत का इंतजाम किया है। आपको बता दें कि शहीद का परिवार अभी तक झोपड़ी में गुजारा कर रहा था। जब कुछ समाजसेवकों को इस बात का पता चला तो उन्होंने एक अभियान शुरू किया और देखते ही देखते 11 लाख रुपए जमा कर लिए। इससे शहीद की विधवा के लिए गांव में ही एक मकान तैयार हो गया। 

स्वतंत्रता दिवस पर सौंपी गई मकान की चाबी

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद की पत्नी से राखी बंधवाकर गुरुवार को उन्हें मकान की चाबी सौंप दी गई। इसके साथ ही यहां झंडा वंदन भी किया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बेटमा गांव के पीर पीपल्या गांव के मोहन सिंह सुनेर बीएसएफ में थे। असम में पोस्टिंग के दौरान वे 31 दिसंबर 1992 को शहीद हो गए थे। उनका परिवार तभी से झोपड़ी में रह रहा था। उनकी हालत देख कुछ युवाओं ने ‘वन चेक-वन साइन’ नाम से अभियान शुरू किया। अभियान से जुड़े विशाल राठी ने बताया कि मकान बनाने के लिए 11 लाख रुपये इकट्ठा कर लिए। जल्द ही यह परिवार नए घर में शिफ्ट हो जाएगा।

मोहन सिंह की शहादत के समय गर्भवती थीं पत्नी
मोहन सिंह सुनेर जब शहीद हुए थे, उस वक्त उनका तीन वर्ष का एक बेटा था और पत्नी राजू बाई चार माह की गर्भवती थीं। बाद में दूसरे बेटे का जन्म हुआ। पति की शहादत के बाद दोनों बच्चों को पालने के लिए पत्नी ने मेहनत-मजदूरी की। झोपड़ी में ही परिवार गुजारा कर रहा था जिसे टूटी-फूटी छत पर चद्दर लगाकर और बांस-बल्लियों के सहारे जैसे-तैसे खड़ा किया गया था। यह विडंबना ही कही जाएगी कि परिवार को किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया।

मोहन सिंह की प्रतिमा भी बनाई जाएगी
विशाल राठी के मुताबिक शहीद के परिवार के लिए दस लाख रुपये में घर तैयार हो गया। इसके साथ ही एक लाख रुपये मोहन सिंह की प्रतिमा के लिए रखे हैं। प्रतिमा भी लगभग तैयार है। इसे पीर पीपल्या मुख्य मार्ग पर लगाएंगे। इसके साथ ही जिस सरकारी स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की है, उसका नाम भी उनके नाम पर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

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